MP Assembly Election 2023: महाकौशल में कांटे की टक्कर, ‘कमल’ के ‘महा’ समीकरण और ‘नाथ’ के ‘कौशल’ में मुकाबला
महाकौशल में कांटे की टक्कर, मुकाबला 'कमल' के 'महा' समीकरण और ‘नाथ’ के 'कौशल' में
MP Assembly Election 2023
MP Assembly Election 2023: जबलपुर, 14 नवंबर । पिछले विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की सत्ता की कुंजी माने जाने वाले महाकौशल क्षेत्र में कांग्रेस ने यहां की 38 में से 24 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी लेकिन इस बार उसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से कड़ी चुनौती मिल रही है। मतदाताओं का एक वर्ग जहां ‘बदलाव’ की बात करता है, वहीं कमोबेश यही प्रतिशत उन लोगों का है जो ‘मोदी और मामा’ के कार्यों की सराहना करते नहीं थकता। मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के लिए 17 नवंबर को मतदान होना है। नतीजे तीन दिसंबर को आएंगे। लिहाजा, ऊंट किस करवट बैठेगा, यह तो उसके बाद ही पता चलेगा।
भाजपा की रणनीति पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के प्रभाव वाले इस इलाके में अपने ‘महा समीकरण’ के जरिए उनके कौशल को घेरने की है तो कांग्रेस भी पिछले चुनाव में मिली बढ़त को बरकरार रखने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। भाजपा के लिए यह क्षेत्र कितना महत्व रखता है कि इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसने विधानसभा चुनाव में जिन तीन केंद्रीय मंत्रियों सहित सात सांसदों को उतारा है उनमें से दो केंद्रीय मंत्री सहित चार सांसद इस क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं।
आशीष सोनकर ‘डबल इंजन’ सरकार की करते हैं वकालत
महाकौशल का ‘प्रवेश द्वार’ कहे जाने वाले जबलपुर के आशीष सोनकर ‘डबल इंजन’ सरकार की वकालत करते हैं और कांग्रेस को ‘सनातन विरोधी’ बताते हैं। वह दावा करते हैं कि प्रदेश की जनता केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं से लाभान्वित हुई है, इसलिए वह फिर एक बार भाजपा की सरकार चाहती है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां शानदार प्रदर्शन कर राज्य की सत्ता में वापसी की थी वहीं भाजपा 13 सीटों पर सिमट गई थी। इससे पहले 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को महाकौशल से बढ़त मिली थी। उसने 24 सीटें जीती थीं तो कांग्रेस 13 सीटों पर सिमट गई थी।
महाकौशल क्षेत्र में जबलपुर, छिंदवाड़ा, कटनी, सिवनी, नरसिंहपुर, मंडला, डिंडोरी और बालाघाट शामिल हैं। अनुसूचित जनजाति के लिए यहां की 13 सीटें आरक्षित हैं। कांग्रेस ने पिछले चुनाव में इनमें से 11 सीटें जीती थीं जबकि शेष दो सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। क्षेत्र में भाजपा का प्रचार अभियान भी मोदी केंद्रित है। पोस्टरों व बैनरों में ‘मामा’ के नाम से लोकप्रिय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा मोदी की एक बड़ी तस्वीर हर विधानसभा क्षेत्र में दिखती है और जिस पर लिखा होता है ‘मध्य प्रदेश के मन में मोदी’।
लोगों के मन में महाकौशल के पिछड़ेपन की टीस
क्षेत्र के लोगों के मन में महाकौशल के पिछड़ेपन की टीस भी दिखती है और उन्हें यह अफसोस भी है, कि जो जबलपुर कभी रायपुर और नागपुर से भी आगे हुआ करता था वह आज इंदौर और भोपाल से कहीं पीछे छूट गया है। महाकौशल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के संयुक्त सचिव अखिल मिश्र ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘यहां जैसा विकास, जैसी बुनियादी अवसंरचना होनी चाहिए थी वैसा कुछ भी नहीं हुआ। मध्य प्रदेश में महाकौशल को जो स्थान मिलना चाहिए था, वह नहीं मिला। जनता जागरूक है और सब कुछ समझती है।’’
महाकौशल क्षेत्र की अधिकतर सीटों पर भाजपा और कांग्रेस में सीधी टक्कर है वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के गठबंधन ने कुछ सीटों पर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। गोंगपा का पहले महाकौशल क्षेत्र में खासा प्रभाव था, लेकिन अब वह कई गुटों में बंट गई है और उसके नेता भी बिखर गए हैं। नरसिंहपुर जिले के एक निजी विद्यालय में शिक्षक संदीप यादव ने कहा, ‘‘बेरोजगारी यहां सबसे बड़ा मुद्दा है। हजार पद निकलते हैं तो लाखों लोग आवेदन भरते हैं। कुछ परीक्षाएं हुईं भी, लेकिन उनके परिणाम नहीं आए। युवाओं के मन में कहीं न कहीं रोष है। युवा इसे ध्यान में रखकर मतदान करेगा।’’
भाजपा के खराब प्रदर्शन की बड़ी वजह
पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के खराब प्रदर्शन की बड़ी वजह आदिवासियों की नाराजगी मानी गई थी। इसी कमी को दुरुस्त करने के लिए भाजपा ने करीब दो साल पहले ही आदिवासी वोटबैंक पर नजरें गड़ा दी थीं। प्रधानमंत्री मोदी के कई दौरे हुए हैं वहीं संगठन के स्तर भी भाजपा नेता और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी आदिवासी बहुल इलाकों में लगातार काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री चौहान भी यहां अक्सर दौरे कर रहे हैं। उन्होंने जबलपुर में ही ‘लाडली बहना योजना’ की पहली किश्त जारी की थी।
महाकौशल क्षेत्र में कमलनाथ के असली सियासी कौशल की भी परीक्षा है क्योंकि इस क्षेत्र में पार्टी का पूरा प्रचार उन्हीं पर केंद्रित है और वह मुख्यमंत्री पद के घोषित उम्मीदवार भी हैं। पिछले चुनाव में उनके गृह जिले छिंदवाड़ा की सभी सात सीटें कांग्रेस ने जीती थीं। पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने जबलपुर से ही कांग्रेस के प्रचार अभियान की शुरुआत की थी और चुनाव की घोषणा के बाद वह कई दफा महाकौशल आ चुकी हैं। कांग्रेस की कोशिश प्रियंका के जरिए महिलाओं पर ‘लाडली बहना योजना’ का प्रभाव कम करने की है।
कमल नाथ की मंत्रिपरिषद में दो सदस्य महाकौशल के
छिंदवाड़ा के युवा विवेक सोनी ने कहा कि कांग्रेस के लिए महाकौशल की क्या प्रमुखता है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कमल नाथ की मंत्रिपरिषद में दो सदस्य महाकौशल के थे और उन्होंने मंत्रिमंडल की बैठक जबलपुर में कर क्षेत्र के विकास के लिए कई योजनाओं की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि इस दफा कमल नाथ के लिए छिंदवाड़ा की सभी सात सीटें जीतना चुनौती होगी।
जबलपुर स्थित रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान के प्रमुख प्रोफेसर विवेक मिश्रा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘विगत छह महीनों में वर्तमान सरकार ने लाडली बहनों को लेकर जो काम किया है उसका असर देखने को मिल रहा है। इसने परिदृश्य बदला है।’’ उन्होंने कहा कि दूसरा पहलू यह है कि भाजपा ने केंद्रीय नेताओं को जो मैदान में उतारा है, वह अपनी सीट के साथ-साथ आस-पड़ोस की सीटों को भी प्रभावित कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘शुरू में सत्ता विरोधी लहर थी, लेकिन भाजपा ने बहुत हद तक इसे कम किया है। उसने आदिवासी वर्ग को साधने पर भी काफी ध्यान दिया है। अभी यह कह पाना बहुत मुश्किल है कि कौन महाकौशल पर कब्जा करेगा।’’
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