Teacher Recruitment Scam: फर्जी दिव्यांग बनकर बन गए शिक्षक? अब तक 34 शिक्षकों ने नहीं कराया मेडिकल सत्यापन, इस्तीफों से मचा हड़कंप
Teacher Recruitment Scam: फर्जी दिव्यांग बनकर बन गए शिक्षक? अब तक 34 शिक्षकों ने नहीं कराया मेडिकल सत्यापन, इस्तीफों से मचा हड़कंप Morena News
Teacher Recruitment Scam/Image Source: IBC24
- फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र के सहारे नौकरी,
- 34 शिक्षक नहीं करवा रहे मेडिकल सत्यापन,
- इस्तीफों से मचा हड़कंप,
मुरैना: Morena News: मुरैना जिले में दिव्यांग कोटे से हुई शिक्षक भर्ती एक बार फिर सवालों के घेरे में है। शिक्षा विभाग द्वारा जारी मेडिकल सत्यापन आदेश के बावजूद 34 शिक्षक अब तक जांच के लिए नहीं पहुंचे हैं। स्थिति तब और गंभीर हो गई जब वेतन रोके जाने के बाद इन शिक्षकों ने इस्तीफा देना शुरू कर दिया। इनमें से एक शिक्षक ने तो बाकायदा जिला शिक्षा अधिकारी को लिखित रूप से त्यागपत्र भी सौंप दिया है। Teacher Recruitment Scam
Teacher Recruitment Scam: साल 2021 में मुरैना जिले में दिव्यांग कोटे से 55 से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी। शुरुआत में सब सामान्य लगा लेकिन समय के साथ इन भर्तियों को लेकर शिकायतें आने लगीं। आरोप लगने लगे कि कुछ शिक्षकों ने फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्रों के सहारे नौकरी पाई है। लगातार मिल रही शिकायतों को देखते हुए लोक शिक्षण संचालनालय की आयुक्त शिल्पा गुप्ता ने 2 जुलाई 2025 को आदेश जारी किया कि इन सभी शिक्षकों का मेडिकल सत्यापन ग्वालियर मेडिकल कॉलेज से कराया जाए। साथ ही यह भी निर्देश दिया गया कि जब तक मेडिकल बोर्ड से प्रमाण नहीं मिलता तब तक संबंधित शिक्षकों का वेतन रोका जाएगा।
Morena News: अब तक केवल 21 शिक्षक ही मेडिकल सत्यापन के लिए पहुंचे हैं, जबकि 34 शिक्षक अभी तक जांच में शामिल नहीं हुए। जिला शिक्षा अधिकारी ने इन सभी 34 शिक्षकों का वेतन तत्काल प्रभाव से रोक दिया है। विभाग का कहना है कि जब तक वे मेडिकल बोर्ड से सत्यापन नहीं कराते तब तक वेतन नहीं मिलेगा। सत्यापन से बचने के लिए कई शिक्षकों ने अब इस्तीफा देना शुरू कर दिया है जिससे पूरे मामले पर संदेह और गहराता जा रहा है। सवाल उठ रहा है कि यदि सब कुछ सही था तो फिर जांच से भागने की क्या वजह है? Teacher Recruitment Scam
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यह कोई पहला मामला नहीं है। 21 जून 2023 को भी मुरैना जिले में फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी करने वाले 77 शिक्षकों पर एफआईआर दर्ज की गई थी। जांच में पाया गया कि उनमें से केवल 2 शिक्षक ही वास्तव में दिव्यांग थे जबकि बाकी 75 मामले अब भी लंबित हैं। प्रशासन का कहना है कि सत्यापन प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी ढंग से चल रही है और जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। लेकिन यह मामला न केवल मुरैना बल्कि पूरे प्रदेश की भर्ती प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

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