MP Politics : चुनावी दंगल, जनता मौन, भाड़े का टट्टू कौन? चुनाव से पहले गरमाई सियासत
MP Politics : चुनाव के पहले सियासत फुल फार्म पर है। जुबान से एक दूसरे की घेरबांदी हो रही है। बीजेपी की लीडरशिप कांग्रेस से 50 सालों का हिसाब
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भोपाल : MP Politics : चुनाव के पहले सियासत फुल फार्म पर है। जुबान से एक दूसरे की घेरबांदी हो रही है। बीजेपी की लीडरशिप कांग्रेस से 50 सालों का हिसाब मांग रही है। ये दावा कर रही है की बीजेपी ने जो 20 साल में जो कर के दिखाया वो कांग्रेस 50 सालों के शासन में नहीं कर सकी। खैर चुनाव जीतने के लिए बीजेपी अपने रिपोर्ट कार्ड के साथ 230 प्रवासी विधायकों को भी मैदान में उतार चुकी है। लेकिन प्रवासी विधायकों की तैनाती कांग्रेस को खटक रही है। कांग्रेस की तरफ से बीजेपी के प्रवासी विधायकों पर तीखे हमले हो रहे हैं।
मध्यप्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने चुनाव से भाजपा के चार राज्यों के 230 विधायकों के दौरे को लेकर इन प्रवासी विधायकों को किराये के टट्टू कहा। वे यहीं नहीं रुके और ये भी कि वे बीजेपी की बैलगाड़ी नहीं हांक सकेंगे। बीजेपी की राजनीति फ्लॉप हो जाएगी।
MP Politics : दरअसल, बीजेपी ने मध्यप्रदेश में अपनी वापसी के लिए पूरे 230 सीटों पर गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार और यूपी के 230 विधायकों को तैनात किया है। हर सीट के हिसाब से सियासी समीकरण बनाए जाएंगे। प्रवासी विधायकों की सात-सात दिनों की तैनाती उन कांग्रेसी दिग्गजों के इलाके में भी की गई है। जहां सात-सात बार से बीजेपी को हार का सामना करना पड़ रहा है। बड़े कांग्रेस नेताओं को उनके ही किलों में कैद करने की रणनीति पर बीजेपी काम कर रही है, जिससे कांग्रेस की पेशानी पर बल पड़ गए हैं।
MP Politics : चुनावों में चार महीने का वक्त है। मगर बीजेपी किसी भी सूरत में कांग्रेस को वॉकओवर देने के मूड में नहीं। 51 फीसदी वोट शेयर को हासिल करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए वो पूरा जोर लगा रही है। लेकिन एक दल की रणनीति.. सियासी दांव और समीकरण किसी भी दूसरे दल को रास नहीं आती। फिर मौसम चुनावी हो, तो सियासतदानों के जुबान पर लगाम थोड़ी ढीली हो ही जाती है। लेकिन ध्यान रखना चाहिए कि राजनीति के घुड़सवारों की असली लगाम जनता के हाथ में है और वही जनार्दन है।

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