Balaghat Naxalite Surrender News: तीन साल पहले जबरन उठाकर ले गए थे नक्सली, अब मुख्यधारा में पर लौटी सुनीता, मां-बाप से मुलाकात कर हुई भावुक
Balaghat Naxalite Surrender News: तीन साल पहले जबरन उठाकर ले गए थे नक्सली, अब मुख्यधारा में पर लौटी सुनीता, मां-बाप से मुलाकात कर हुई भावुक
Balaghat Naxalite Surrender News
- बालाघाट में 23 वर्षीय नक्सली सुनीता ने किया आत्मसमर्पण
- 3 साल बाद परिवार से मिलते ही भावुक हुई, मां-बाप की आंखों में आंसू
- बालाघाट पुलिस के “मुख्यधारा में वापसी” अभियान की बड़ी सफलता
बालाघाट: Balaghat Naxalite Surrender News बालाघाट से एक दिल को छू लेने वाली तस्वीर सामने आई है। आत्मसमर्पण करने वाली महिला नक्सली सुनीता आखिरकार अपने मां-बाप से मुलाकात की है। तीन साल बाद हुए इस मिलन के दौरान भावनाएं इतनी उमड़ीं कि आंखें नम हो गईं, लेकिन चेहरों पर मुस्कान भी थी, क्योंकि बेटी अब मुख्यधारा में लौट चुकी है।
Balaghat Naxalite Surrender News बालाघाट पुलिस के आत्मसमर्पण अभियान की ये एक और बड़ी सफलता है। पुलिस के प्रयासों से नक्सली संगठन छोड़ चुकी सुनीता अब एक नया जीवन शुरू कर रही है। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के भैरमगढ़ तहसील के गोमवेटा गांव से आए सुनीता के परिजन जब उससे मिले तो भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा। तीन साल से बिछड़ी बेटी को गले लगाते ही मां की आंखों से आंसू बह निकले, वहीं पिता के चेहरे पर राहत की मुस्कान थी।
महज 23 वर्षीय सुनीता ने आत्मसमर्पण कर न सिर्फ अपने जीवन को दिशा दी, बल्कि यह भी संदेश दिया कि हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज में लौटना ही असली जीत है। बालाघाट पुलिस लगातार नक्सल प्रभावित इलाकों में संवाद और पुनर्वास की पहल कर रही है उसी का प्रयास है कि एक बेटी को फिर से परिवार की गोद में पहुंचा दिया है।
सुनीता के पिता बिसरू ओयाम ने बताया कि तीन साल पहले नक्सली जबरन परेशान करते थे। ऐसे में उन्होंने सुनीता को उठा ले गए। वहीं, कुछ समय बाद सुनीता की छोटी बहन को भी ले जाना चाहते थे। बड़ी बेटी से मिलने नहीं दिया गया। ऐसे में उन्होंने छोटी बेटी संगठन में भेजने से इंकार कर दिया। नक्सल संगठनों में तीन सालों तक काम करने के बाद सुनीता ने जंगल की जिंदगी छोड़ मुख्य धारा में लौटने का फैसला किया।

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