भोपाल: no government मध्यप्रदेश में पहली बार ऐसे हालात बन गए है, जब पिछले 2 सालों से स्थानीय निकायों में जनप्रतिनिधियों की सरकार नहीं है। ऐसे में जनप्रतिनिधियों में आक्रोश है और वो अपने वित्तीय अधिकारों को लेकर लामबंद होने लगे है। इधर बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे पर आरोप लगाकर खुद को पंचायत प्रतनिधियों का सच्चा हितैषी बता रहे है।
no government मध्यप्रदेश में पिछले 2 सालों से 16 नगर निगम समेत 457 नगरीय निकाय, 51 जिला पंचायत, 363 जनपद पंचायत और 23 हजार से ज्यादा ग्राम पंचायत के साथ ही 3 लाख 62 हजार पंच के काम अधिकारी कर रहे है। पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव टलने से ये स्थिति बनी है। ऐसे में वित्तीय अधिकारों की मांग को लेकर सरपंच लामबंद हो रहे है। उनकी मांग है कि जब तक चुनाव नहीं हो जाते तब तक पुरानी व्यवस्था के अनुसार उन्हें अधिकार वापस किए जाए। सरपंच संघ ने बीजेपी दफ्तर में नेताओं से मुलाकात कर अपनी बात रखी।
पंचायत संचालन के अधिकारी की मांग कर रहे सरपंचों ने सीएम शिवराज सिंह से भी मुलाकात का वक्त मांगा हैं। इस मामले पर सियासत भी शुरू हो गई है। बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे पर आरोप लगाकर खुद को पंचायत प्रतिनिधियों का सच्चा हितैषी बताने में जुटे है।
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बता दें कि मार्च 2020 में ही 23 हजार से ज्यादा पंचायतों के सरपंचों और पंचों का कार्यकाल पूरा हो चुका है। साथ ही 51 जिला और 363 जनपद पंचायतों का कार्यकाल भी समाप्त हो चुका है, लेकिन अलग अलग कारणों से अब तक चुनाव नहीं हो सके। ऐसे में पंचायत प्रतिनिधि वित्तीय अधिकारों की मांग कर रहे है।
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3 hours ago