यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाए जाने के दौरान पीथमपुर के कारखानों में हाजिरी पर कोई असर नहीं: संगठन

यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाए जाने के दौरान पीथमपुर के कारखानों में हाजिरी पर कोई असर नहीं: संगठन

यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाए जाने के दौरान पीथमपुर के कारखानों में हाजिरी पर कोई असर नहीं: संगठन
Modified Date: February 28, 2025 / 03:35 pm IST
Published Date: February 28, 2025 3:35 pm IST

इंदौर, 28 फरवरी (भाषा) मध्यप्रदेश के पीथमपुर में भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन कचरे में से 10 टन अपशिष्ट को जलाए जाने की प्रक्रिया शुरू होने के बीच एक संगठन ने शुक्रवार को कहा कि सूबे के इस प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र में हालात सामान्य हैं और इकाइयों में कामगारों की हाजिरी पर कोई भी असर नहीं देखा गया है।

पीथमपुर औद्योगिक संगठन के अध्यक्ष गौतम कोठारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया,‘‘यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाए जाने के दौरान पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में हालात एकदम सामान्य हैं। कारखानों में मजदूरों की उपस्थिति पर कोई भी असर नहीं देखा गया है। कारखानों में आम दिनों की तरह काम-काज चल रहा है।’’

कोठारी के मुताबिक पीथमपुर में एक निजी कंपनी के संचालित अपशिष्ट निपटान संयंत्र को उन्होंने खुद बहुत निकट से देखा है और वह इसके इंतजामों से संतुष्ट हैं।

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उन्होंने बताया कि पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में करीब 1,250 इकाइयां हैं जहां एक लाख से अधिक मजदूर काम करते हैं। इनमें देश के अलग-अलग राज्यों से आने वाले प्रवासी श्रमिक भी शामिल हैं।

अधिकारियों ने बताया कि पीथमपुर के अपशिष्ट निपटान संयंत्र में यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन कचरे में से 10 टन अपशिष्ट को परीक्षण के तौर पर नष्ट किया जा रहा है और निपटान की इस प्रक्रिया के पूरे होने में करीब 72 घंटे लगने का अनुमान है।

उन्होंने बताया कि वर्ष 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार कारखाने के कचरे के निपटान के पहले परीक्षण को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश पर अंजाम दिया जा रहा है।

भोपाल में दो और तीन दिसंबर 1984 की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का रिसाव हुआ था। इससे कम से कम 5,479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग अपंग हो गए थे।

इसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है।

भाषा हर्ष नरेश धीरज

धीरज


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