दावत-ए-बिरयानी.. तड़का-ए-सियासत! 2023 के लिए AIMIM के दांव से कौन सी पार्टी की सेहत बिगड़ेगी?
2023 के लिए AIMIM के दांव से कौन सी पार्टी की सेहत बिगड़ेगी? Owaisi's party preparing to contest assembly elections in Madhya Pradesh
नवीन सिंह/भोपालः विधानसभा 2023 के चुनाव में भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी के बाद अब असदुदीन औवेसी की पार्टी भी मजबूती से दस्तक देने की तैयारी में है। नगर निगम के चुनावों में इसका ट्रेलर भी आपने देखा था। AIMIM भले ही अपना एक भी महापौर न जीता पाई हो लेकिन 2 नगर निगम में हार और जीत के बीच सबसे बड़ा फैक्टर कारण वहीं थी। एमआईएम एमपी में 1 लाख सदस्य बनी चुकी है। 50 विधानसभा सीटों पर बिरयानी पार्टी के ज़रिए लोगों को इकठ्ठा कर रही है।
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मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनावों के पहले सियासी बिरयानी पकने लगी है। दस्तरखान लग चुके हैं, दावतों का दौर भी शुरु हो गया है। मेज़बानी का मौका मिला है ओवैसी की टीम को। कोशिश हो रही है कि बिरयानी के बहाने सियासी जमीन मजबूत की जाए और इस कोशिश को मध्यप्रदेश में ओवैसी की पार्टी AIMIM मुकम्मल कर रही है। खबर तो ये है कि 2023 के विधानसभा चुनावों में AIMIM 50 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। अब तक पार्टी एमपी में 1 लाख से भी ज्यादा सदस्य बना चुकी है. अकेले नरेला विधानसभा सीट पर AIMIM ने 25 हजार से ज्यादा सदस्य जोड़ लिए हैं. ओवैसी का लक्ष्य चुनाव से पहले 10 लाख से ज्यादा मेंबर बनाना है। भोपाल, इंदौर, जबलपुर, खंडवा, खरगौन, बुरहानपुर जैसे शहरों में AIMIM के दावेदारों ने ताकत के साथ काम करना भी शुरु कर दिया है। AIMIM के नेता मानते हैं कि कांग्रेस पार्टी ने मुसलमानों के साथ बेवफाई की है। लिहाजा अब वफादारी का वक्त औवेसी के साथ है।
AIMIM अगर विधानसभा चुनावों में उतरी तो सबसे बड़ा नुक्सान कांग्रेस को ही होगा। क्योंकि कांग्रेस के पास फिलहाल दो मुसलमान विधायक हैं। वो भी भोपाल में कांग्रेस बुरहानपुर महापौर सीट पर मिली हार का गम अब तक भुला भी नहीं पाई है कि फिर AIMIM ने सीधे कांग्रेस को ही चैलेंज दे दिया है। कांग्रेस ये भी जानती है कि AIMIM का कुनबा बढ़ने के पीछे पार्टी से नाराज़ चल रहे अल्पसंख्यक वोट हैं, जो ओवैसी की तरफ शिफ्ट होते जा रहे हैं। कांग्रेस में भगदड़ मची है। तो दूसरी ओर मौके की नज़ाकत को समझते हुए बीजेपी ने आहिस्ता आहिस्ता सियासी बिरयानी को हजम करने की तैयारी शुरु कर दी है।
एमपी में ओवैसी के हर मूव पर कांग्रेस की नज़र है। ओवैसी ने एमपी में पिछले दौरे में अपने तेवर साफ कर दिए थे। फिलहाल AIMIM के पास मध्यप्रदेश में 7 पार्षद हैं। लेकिन पार्टी का प्रभाव भोपाल, जबलपुर, इंदौर, खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर से लेकर मध्यप्रदेश के हर मुस्लिम बहुल इलाके में हैं। अब सवाल है कि ओवैसी की सियासी बिरयानी बीजेपी की सेहत बनेगी?

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