कुलदेवता’ मानकर पीढ़ियों से कर रहे थे पूजा, डायनासोर का अंडा निकला वह पत्थर
'Kuldevta'turned out dinosaur egg: उनका मानना है कि ये कुलदेवता हमारी खेती और मवेशियों की रक्षा करते हैं और उनकी तमाम संकटों से रक्षा करते हैं।
'Kuldevta'turned out dinosaur egg
‘Kuldevta’turned out dinosaur egg: धार। मध्य प्रदेश के धार जिले में लोग जिसे ‘कुलदेवता’ मानकर पूजा कर रहे थे, वह पत्थर डायनासोर का अंडा निकल गया। कुछ वैज्ञानिकों ने जब इसकी जांच की तो सच्चाई सामने आई और लोग यह जानकर हैरान रह गए। बताया जा रहा है कि खेती के दौरान अंडे मिले थे।
मीडियो रिपोर्ट के अनुसार पांडलया गांव के वेस्ता मांडलोई में ग्रामीण गोलकार पत्थर जैसे वस्तु की ‘काकर भैरव’ के रूप में पूजा कर रहे थे। उनके घर में यह परंपरा पीढ़ियों से ही चली आ रही थी। उनका मानना है कि ये कुलदेवता हमारी खेती और मवेशियों की रक्षा करते हैं और उनकी तमाम संकटों से रक्षा करते हैं।
read more: भारत जलवायु लक्ष्यों के लिए ऊर्जा सुरक्षा से समझौता नहीं कर सकता : अधिकारी
मांडलोई की तरह उनके गांव के बहुत से लोग इस तरह की आकृति की पूजा कर रहे थे, जो उन्हें धार और आसपास के इलाकों में खेती के दौरान खुदाई में मिले थे। हालांकि, अब नए तथ्य सामने आने के बाद लोग दुविधा में फंस गए हैं। कुछ लोग उनकी देवता समझकर पूजा कर रहे थे और यह आगे भी जारी रहेगा।
जानें कैसे हुआ खुलासा
बता दें कि लखनऊ के बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक हाल ही में धार पहुंचे थे। डायनासोर के इतिहास और मध्य प्रदेश के इस क्षेत्र में उनके अवशेष का पता लगाने टीम पहुंची थी तो पता चला कि यहां खेतों में लोगों को गोलाकार वस्तु मिली थी जिसकी लोग पूजा करते हैं। वैज्ञानिकों ने जब इनकी जांच को तो पता चला कि असल में ये डायनासोर के अंडे हैं।
इतिहास में जाएं तो मध्य प्रदेश की नर्मदा घाटी में डायनासोर युग में धरती से लुप्त हो चुके इन प्राणियों की अच्छी संख्या थी। इसी साल जनवरी में भी धार में 256 अंडे मिले थे। इनका आकार 15 से 17 सेमी का था। माना जाता है कि 6.6 करोड़ साल पहले पृथ्वी पर डायनासोर का बसेरा था तब इंसान पैदा ही नहीं हुए थे।

Facebook



