Water Crisis : बूंद-बूंद के लिए तरस रहे लोग! गंदा पानी पीने को मजबूत हैं ग्रामीण, नहीं मिल रहा नल जल योजना का लाभ
Water Crisis: People yearning for every drop! Villagers are too strong to drink dirty water, but are not getting the benefit of tap water scheme
Water Crisis in Umaria
Water Crisis in Umaria : उमरिया। शासन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रो मे लाखो-करोड़ो रूपये खर्च कर ग्रामीणो को मूलभूत सुविधाएं देने का दावा कर रही है। वहीं देखा जाए तो उमरिया जिले मे हालात बेहद खराब हैं जमीनी स्तर की बात कि जाए तो शासन की योजनाएं और दावे फैल होते नजर आ रहे है। जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी से बेखबर नजर आ रहे है। नेता सिर्फ वोट के लिए राजनिति कर रहे है। लेकीन जनता आज भी मूलभूत सुविधाओ के लिए जद्दोजहद कर रही है। और ग्रामीण गन्दा पानी पीने के लिए मजबूर है।
Water Crisis in Umaria : ताजा मामला उमरिया जिले की पाली तहसील के ग्राम पंचायत बेली गांव का हैं,जो कि जिले के ग्रामीण पेयजल के लिए संघर्ष करते दिखाई देने की ये भव्यवर तस्वीर सामने आई हैं। यह ग्रामीण ये गंदा पानी पीने को मजबूर है। गांव के लोग गन्दा नाले के सहारे अपनी प्यास बुझा रहे है। विकास खण्ड पाली के ग्राम बेली के करीब 1000 लोग निवास करते है। किन्तु इन ग्रामीणो की प्यास बुझाई जा सके ऐसा गांव मे कोई जल स्त्रोत नही है। जिस वजह से लगभग एक से ढेड किमी दूर नाले मे उबड खाबड मार्ग का खतरो भरा सफर तय कर ग्रामीण नले तक पंहुचते है। और फिर जाकर कही उन्हे पानी नसीब होता है। लेकीन विडम्बना यह है कि ग्रामीणो को फिर भी स्वच्छ पानी नही मिल पाता है।
गंदे नाली से बहता पानी निकलने वाले गंदे पानी को ही ग्रामीण पी रहे है। जिससे ग्रामीण बीमारियों का शिकार भी हो रहे है। सुबह से ही महिलाएं बच्चे एकत्रित होकर नाले के समीप पंहुच जाते है। ओर घंटो इंतजार के बाद उन्हे पानी मिल पाता है। शासन प्रशासन की और यहां पानी को लेकर कोई व्यवस्थाएं नही है। पीईएचई विभाग द्वारा जो पूर्व मे हेडपंप लगाए गये थे उनमे से अधिकतर खराब पडे। और एक दो हेडपंप चल रहे है जो भी मुश्किल से एक बाल्टी पानी भी नही दे पा रहे हैं।वहीं जब हमारे संबददाता जिम्मेदार अधिकारी से बात की तो गोल मटोज जबाब देकर नल जल योजना को चालू करने की बात कही देखिए, गौरतलब है कि ग्रामीणो के अनुसार ग्राम पंचायत या प्रशासन की ओर से भी पेयजल को लेकर कोई व्यवस्थाएं नही की गई है।
कई सालो से ग्रामीण इसी तरह पानी के लिए सघर्ष कर रहे है। लेकीन इनकी सुनने वाला यहाँ कोई नही है। चुनाव आते है तो गांव मे नेताओ का आना जाना होता है लेकीन चुनाव होते ही ग्रामीणो की कोई पुछ परख करने वाला नही है। ऐसे मे ग्रामीण बेहद परेशान हो चुके है। शासन प्रशासन के सारे दावे यहां खोखले साबित हो रहे है। इंसान तो ठीक मवेशियो को भी पानी नसीब नही हो पाता है। एक गांव के ही व्यक्ति के द्वारा मेवेशियो के लिए पानी की व्यवस्था की जाती है। अन्यथा मवेशी प्यासे ही रह जाए। बहरहाल अब देखना लाजमी होगा की शासन प्रशासन के जिम्मेदार कब तक इन ग्रामीणो के पास पंहुचते है या फिर इसी तरह ग्रामीण अपना जीवन यापन करते रहेंगे।

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