Politics in Madhya Pradesh on statement of Rahul Gandhi and Digvijay Singh

‘उकसावे’ की सियासत.. क्या हैं इरादें? दलित, आदिवासियों के वोट बैंक से सहारे राजनीति क्यों?

'उकसावे' की सियासत.. क्या हैं इरादें? Politics in Madhya Pradesh on statement of Rahul Gandhi and Digvijay Singh

Edited By :   Modified Date:  June 1, 2023 / 11:49 PM IST, Published Date : June 1, 2023/11:49 pm IST

नवीन कुमार सिंह/भोपाल: चुनावों के पहले एक बार फिर राहुल गांधी औऱ दिग्विजय सिंह के बयान पर बहस शुरु हो गई है। राहुल गांधी ने विदेश में ये कह दिया है कि भारत में दलित आदिवासी समाज के साथ अत्याचार और अन्याय हो रहा है। दिल्ली से 8 सौ किलोमीटर दूर भोपाल में दिग्विजय सिंह ने भी ये बयान दे दिया है कि आदिवासियों को अब बीजेपी के खिलाफ विद्रोह करना पड़ेगा। ठीक उसी तरह जिस तरह टंट्या मामा ने अंग्रेजों की हुकूमत के खिलाफ विद्रोह किया था। दोनों नेताओं का बयान बीजेपी के गले नहीं उतर रहा। राहुल गांधी और दिग्विजय सिंह फिर बीजेपी के निशाने पर आ गए हैं।

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आदिवासियों, दलितों से जुड़े राहुल गांधी और दिग्विजय सिंह के बयान सियासी मायने भी रखते हैं क्योंकि अगले 12 महीनों में कांग्रेस को दो बड़े चुनाव लड़ने हैं। पहले MP का विधानसभा चुनाव और दूसरा 2024 का आम चुनाव। दोनों नेता ये जानते हैं कि इनके बयानों का देश और मध्यप्रदेश के एक विशेष वर्ग पर क्या और कितना असर पड़ सकता है। दरअसल मध्यप्रदेश की विधानसभा में 82 सीटें SC-ST के लिए रिजर्व हैं। ST के लिए 47 और SC के लिए 35 सीटें आरक्षित हैं, जबकि लोकसभा के लिए MP में 10 सीटें SC-ST के लिए आरक्षित हैं। जबकि लोकसभा के लिए पूरे देश में 131 सीटें इन्हीं दो वर्गों के लिए रिजर्व हैं। ऐसे में दोनों नेताओं के बयान से अगर दलित आदिवासी समाज प्रभावित होता है तो कांग्रेस की सत्ता में वापसी का रास्ता बेहद आसान हो जाएगा। हालांकि बीजेपी इन बयानों को लेकर कांग्रेस पर हमलावर है।

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राहुल गांधी और दिग्विजय ये जानते हैं कि दलित आदिवासियों का झुकाव बीजेपी की तरफ होने की वजह से ही उन्हें 2019 के आम चुनाव में 84 में से सिर्फ 12 सीटें मिल सकी थीं। लेकिन MP में 2018 के चुनावों में कांग्रेस को आदिवासी समाज का आशीर्वाद ज़रूर मिल गया था। कांग्रेस को SC वर्ग की रिजर्व 35 में से 17 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि 18 सीटों पर बीजेपी जीती। वहीं ST वर्ग की 47 सीटों में से 31 सीटें कांग्रेस ने और बीजेपी सिर्फ 16 सीटों पर जीती। आंकड़ों से जाहिर है कि कांग्रेस इन दोनों वर्गों पर खास जोर क्यों दे रही है।

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चुनावों से पहले मध्यप्रदेश में कांग्रेस दलित, आदिवासी समुदाय की शुभचिंतक होने के दावे कर रही है तो वहीं बीजेपी भी इन वर्गों में पैठ बनाना चाह रही है। जिसके लिए बीजेपी ने आरक्षित सीटों पर दलित आदिवासी समाज के बड़े नेताओं की तैनाती भी कर दी है। ऐसे में देखना होगा कि दलित आदिवासी समाज दोनों दलों के साथ किस तरह का इंसाफ करते हैं।