Rajnath Singh in Raisen: मध्यप्रदेश में हर साल बनेंगे 200 रेलवे कोच, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दी बड़ी सौगात, 1,800 करोड़ की लागत से बनने वाले BEML का किया भूमिपूजन
Rajnath Singh in Raisen: मध्यप्रदेश में हर साल बनेंगे 200 रेलवे कोच, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दी बड़ी सौगात, 1,800 करोड़ की लागत से बनने वाले BEML का किया भूमिपूजन
Rajnath Singh in Raisen: मध्यप्रदेश में हर साल बनेंगे 200 रेलवे कोच, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दी बड़ी सौगात / Image Source: jansampark MP
- ‘ब्रह्मा’ रेल कोच इकाई की नींव रखी गई
- तकनीक और सामग्री देश में विकसित होगी
- पर्यावरणीय तकनीकें अपनाई जाएंगी
रायसेन: Rajnath Singh in Raisen रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को मध्यप्रदेश के रायसेन जिले के उमरिया गांव में 1,800 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली ‘भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड’ (बीईएमएल) की रेल कोच इकाई का भूमिपूजन किया। इस परियोजना का नाम ‘ब्रह्मा’ (बीईएमएल रेल हब फॉर मैन्युफैक्चरिंग) रखा गया है और इसकी प्रारंभिक उत्पादन क्षमता 125 से 200 कोच प्रतिवर्ष होगी, जिसे पांच वर्षों में बढ़ाकर 1,100 कोच प्रतिवर्ष किए जाने का लक्ष्य रखा गया है।
Rajnath Singh in Raisen औबेदुल्लागंज के दशहरा मैदान में आयोजित इस समारोह में मुख्यमंत्री मोहन यादव, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान, रक्षा उत्पादन सचिव संजीव कुमार, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सतीश कुमार, बीईएमएल के अध्यक्ष शांतनु राय सहित कई नेता और अधिकारी शामिल हुए। कार्यक्रम के दौरान रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का एक वीडियो संदेश प्रसारित किया गया। इस अवसर पर ‘ब्रह्मा’ परियोजना पर केन्द्रित लघु फिल्म, प्रस्तावित संयंत्र का 3डी चित्रण (वॉक थ्रू) और नए संयंत्रों के मॉडल प्रदर्शित किए गए।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि ‘ब्रह्मा’ परियोजना पूरी तरह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के उद्देश्यों के अनुरूप कार्य करेगा। संयंत्र में उपयोग होने वाली अधिकांश तकनीक और सामग्री देश में विकसित व निर्मित की जाएगी, जिससे विदेशी निर्भरता कम होगी। बयान के मुताबिक यह परियोजना प्रदेश को रक्षा निर्माण के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगी। बयान में कहा गया कि इस संयंत्र के निर्माण में पर्यावरणीय मानकों का विशेष ध्यान रखा जाएगा और यहां शून्य तरल अपशिष्ट प्रणाली, सौर एवं नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग, वर्षा जल संचयन आदि को अपनाया जाएगा।

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