Karwa Chauth Special: ना छलनी थी, ना चाँद… फिर भी हुआ करवा चौथ पूरा, सजीव हुई सच्ची प्रेम कथा, कर देगी भावुक…
करवा चौथ सिर्फ़ एक पर्व नहीं, भारतीय नारी के प्रेम, समर्पण और त्याग का प्रतीक है। लेकिन इस बार करवा चौथ पर एक ऐसी सच्ची कहानी सामने आई है, जिसने इस त्यौहार के अर्थ को और भी गहरा बना दिया है। यह कहानी है मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले की, जहाँ एक पत्नी ने सिर्फ़ व्रत नहीं रखा, बल्कि अपने पति को नया जीवन देने के लिए अपनी किडनी दान कर दी।
Karwa Chauth Special
- राजगढ़ की महिला ने करवा चौथ पर पति को किडनी दान कर रच दिया इतिहास।
- कोविड के बाद बिगड़ी तबीयत, दोनों किडनियाँ फेल पत्नी बनी जीवनदायिनी।
- करवा चौथ पर निभा अटूट प्रेम और समर्पण का व्रत।
Karwa Chauth Special: वो दिन जब हर पत्नी अपने पति की लंबी उम्र के लिए दिनभर निर्जला व्रत रखती है, चाँद का दीदार करती है और पति की सलामती की कामना करती है, करवा चौथ सिर्फ़ एक पर्व नहीं, भारतीय नारी के प्रेम, समर्पण और त्याग का प्रतीक है। लेकिन इस बार करवा चौथ पर एक ऐसी सच्ची कहानी सामने आई है, जिसने इस त्यौहार के अर्थ को और भी गहरा बना दिया है। यह कहानी है मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले की, जहाँ एक पत्नी ने सिर्फ़ व्रत नहीं रखा, बल्कि अपने पति को नया जीवन देने के लिए अपनी किडनी दान कर दी।
प्रेम की मिसाल बनी एक साधारण जोड़ी
Karwa Chauth Special: राजगढ़ की प्रिया और उनके पति पुरुषोत्तम की यह सच्ची कहानी आज पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बनी हुई है। कोविड के बाद पुरुषोत्तम की तबीयत बिगड़ने लगी थी। उन्हें लगातार सिरदर्द और कमजोरी की शिकायत रहती थी। जब डॉक्टरी जांच करवाई गई तो रिपोर्ट चौंकाने वाली थी, दोनों किडनियाँ फेल हो चुकी थीं। डॉक्टर्स ने साफ़ कहा कि अब केवल किडनी ट्रांसप्लांट ही जीवन बचा सकता है। यह सुनकर पूरे परिवार में चिंता का माहौल फैल गया। माता-पिता और भाई-बहन सहमे हुए थे, लेकिन कोई किडनी देने का साहस नहीं कर पा रहा था।
प्रिया का निस्वार्थ प्रेम
Karwa Chauth Special: ऐसे कठिन समय में जब सभी चुप थे, प्रिया ने आगे बढ़कर पति को किडनी देने री बात कही ।” डॉक्टरों ने जब प्रिया और पुरुषोत्तम का ब्लड ग्रुप और टिश्यू मिलान किया, तो वह पूरी तरह मैच कर गया। फिर तय हुआ वो दिन, जब प्रिया अपनी किडनी पति को देने के लिए ऑपरेशन थियेटर में गईं। ऑपरेशन सफल रहा और पुरुषोत्तम की जान बच गई।
बता दें कि, करवा चौथ की पौराणिक कथा में ‘वीरावती’ नाम की पत्नी अपने पति के लिए व्रत रखती है। जब छल से उसका व्रत टूटता है और पति की मृत्यु हो जाती है, तो वह देवी पार्वती से प्रार्थना करती है। देवी उसके प्रेम और व्रत की शक्ति से पति को जीवनदान देती हैं। सदियों बाद वही कथा राजगढ़ में फिर से जीवंत हुई। फर्क बस इतना था कि इस बार देवी ने वरदान नहीं दिया एक पत्नी खुद वरदान बन गई।

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