Karwa Chauth chand kitne baje niklega
Karwa Chauth chand kitne baje niklega: नई दिल्ली: हर विवाहिता के लिए करवा चौथ का व्रत बहुत ही खास और महत्वपूर्ण माना जाता है। हर साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत के बारे में भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को बताया था और भगवान शिव ने माता पार्वती को बताया था।
आपको बता दें कि इस दिन सुहागिन महिलाएं सुबह से निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान गणेश, माता पार्वती तथा चंद्रदेव की पूजा करती हैं। फिर, रात के समय चांद को अर्घ्य देने के बाद महिलाएं अपने पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत खोलती हैं। माना जाता है कि इस दिन किए गए व्रत और पूजा से दांपत्य जीवन में प्रेम और सौहार्द बना रहता है तथा पति की आयु लंबी होती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर, शुक्रवार को है। करवा चौथ का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस बार चतुर्थी तिथि की शुरुआत 9 अक्टूबर की रात 10 बजकर 54 मिनट पर होगी और तिथि का समापन 10 अक्टूबर को शाम 7 बजकर 38 मिनट पर होगा।
वहीं, इस बार करवा चौथ के लिए 4 पूजन मुहूर्त मिलेंगे- पहला मुहूर्त सुबह 6 बजकर 19 मिनट से लेकर रात बजकर 13 मिनट तक रहेगा और फिर, दूसरा अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 45 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। इसके बाद तीसरा मुहूर्त दोपहर 3 बजकर 22 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। फिर, संध्या पूजन का मुहूर्त शाम 5 बजकर 57 मिनट से लेकर 7 बजकर 11 मिनट तक रहेगा।
Karwa Chauth 2025 Moon Rising Timing: इस बार करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय रात 8 बजकर 13 मिनट से शुरू होगा। वहीं, दिल्ली और एनसीआर में भी चंद्रोदय का समय रात 8 बजकर 13 मिनट ही रहेगा।
करवा चौथ के दिन महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करती हैं और सबसे पहले अपने घर और पूजा स्थान की सफाई करती हैं। इसके बाद सास द्वारा दिया गया ‘सरगी’ का भोजन ग्रहण करती हैं। पूजा कर भगवान गणेश और माता पार्वती का आह्वान करने के बाद निर्जला व्रत का संकल्प लिया जाता है। इस व्रत के दौरान न तो अन्न लिया जाता है और न ही जल पिया जाता है, व्रत केवल चंद्र दर्शन के बाद ही खोला जाता है।
करवा चौथ पर संध्या के समय मिट्टी की एक वेदी बनाकर उस पर देवी-देवताओं की स्थापना की जाती है। इस वेदी पर 10 से 13 करवे (मिट्टी के छोटे कलश) रखे जाते हैं। पूजा की थाली में चंदन, धूप, दीप, रोली, सिंदूर और पूजा के लिए आवश्यक सामग्री रखी जाती है। दीपक में इतना घी अवश्य होना चाहिए कि वह पूरी पूजा अवधि तक जलता रहे।
चंद्रमा उदय होने से करीब एक घंटे पहले से पूजा आरंभ करना शुभ माना जाता है। इस समय सभी महिलाएं एक साथ बैठकर करवा चौथ की कथा सुनती या सुनाती हैं। जब चांद निकल आता है, तब छलनी से उसका दर्शन किया जाता है और अर्घ्य अर्पित किया जाता है। चंद्र पूजा के बाद महिलाएं अपने पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत तोड़ती हैं। परंपरा के अनुसार, बहू थाली में मिठाई, फल, मेवे और रुपए रखकर सास को भेंट करती है और उनसे अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्राप्त करती है।
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया. जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया..
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी. यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी..
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती. दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती..
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया. जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया..
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे. गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे..
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया. जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया..
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे. व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे..
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया. जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया..