Chhatarpur News: ऐसी कहानी बयां कर रही ऐतिहासिक लाखा बंजारा झील, देखिए खास रिपोर्ट

Historical Lakha Banjara Lake of Sagar ऐसी कहानी बयां कर रही ऐतिहासिक लाखा बंजारा झील, देखिए खास रिपोर्ट

Chhatarpur News: ऐसी कहानी बयां कर रही ऐतिहासिक लाखा बंजारा झील, देखिए खास रिपोर्ट

Allegations of corruption in the restoration of Lakha Banjara Lake

Modified Date: July 14, 2023 / 08:08 pm IST
Published Date: July 14, 2023 8:05 pm IST

Historical Lakha Banjara Lake of Sagar सागर। सागर को स्मार्ट सिटी घोषित हुए लगभग 6 वर्ष होने को है, लेकिन स्मार्ट सिटी के खाते में कोई उल्लेखनीय उपलब्धि अभी तक दर्ज नहीं हुई है। सागर के ऐतिहासिक लाखा बंजारा झील के कायाकल्प का काम सागर स्मार्ट सिटी ने अपने हाथ में लिया था, लेकिन काम शुरू हुए तीन साल बीत जाने के बाद भी सागर तालाब की स्थिति को देखकर आम जनमानस में आक्रोश है। एक तरफ स्मार्ट सिटी दावा कर रही है कि पूरी झील की तलहटी में जमा सिल्ट को निकाल दिया गया है और नालों को तालाब में मिलने से रोका जा चुका है। साथ ही सौंदर्य करण सहित अन्य काम प्रगति पर है लेकिन धरातल की स्थितियां स्मार्टसिटी के जिम्मेदारों के दावों की पोल खोलती नजर आ रही है।

READ MORE: यात्रीगण कृपया ध्यान दें… रायपुर पहुंचने वाली 2 एक्सप्रेस सहित 14 लोकल ट्रेनें हुई रद्द, यहां देखें लिस्ट

किसी भी तालाब या झील की सफाई के बाद वह गहरी होनी चाहिए, लेकिन इसके उलट सागर झील की तलहटी अब पहले से ज्यादा ऊपर दिखाई दे रही है। इन सब प्रत्यक्ष प्रमाण को देखते हुए लोगों में असंतोष है और झील सफाई के काम को सौ फीसदी का भ्रष्टाचार करार दे रहे है। 92 करोड़ की लागत से 2020 में शुरू हुए सागर की लाखा बंजारा झील के कायाकल्प में कई कंपोनेंट शामिल किए गए थे, जिसमें सबसे अहम था सागर झील की तलहटी की सफाई का मामला, सागर की ऐतिहासिक झील में बरसों से मिल रहे नालों के पानी की वजह से इस झील का पानी अत्यंत दूषित हो चुका था, जिसकी सफाई को लेकर कई वर्षों से मांग की जा रही थी। इसे देखते हुए 92 करोड़ का प्रोजेक्ट बनाया गया, जिसमें तालाब की तलहटी की सफाई के साथ ही घाटों का निर्माण, सौंदर्यीकरण, नालों की टेपिंग आदि का काम सम्मिलित किया गया था।

READ MORE: एमपी के इस स्कूल ने उठाई हिन्दू धार्मिक चिन्हों पर आपत्ति, ABVP और हिन्दू संगठन ने जताया विरोध 

2020 में शुरू हुए इस काम की समय सीमा भी तय की गई थी, लेकिन तीन बार तय सीमा गुजरने के बाद भी आज तालाब अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है लेकिन स्मार्ट सिटी के जिम्मेदार दावा कर रहे हैं कि झील की तलहटी से सिल्ट निकालने का काम पूरा कर दिया गया है,लगभग चालीस नालो की टेपिंग कर दी गई है साथ ही घाटों के सौंदर्यीकरण का काम प्रगति पर है। इस बीच सागर झील के सीने पर बस स्टैंड से लेकर ऐतिहासिक चकराघाट तक एक फ्लाईओवर का निर्माण भी कर दिया गया है, जो इस झील सफाई प्रोजेक्ट से अलग था, लेकिन जिम्मेदारों की मनमानी का आलम देखिए की जहां पर यह ओवरब्रिज समाप्त होगा वह चकराघाट शहर का सबसे संक्रीण इलाका है। दावा किया गया है कि इस ब्रिज के बन जाने के बाद बड़े बाजार क्षेत्र के ट्रैफिक दबाव में राहत मिलेगी, लेकिन लोगों का कहना है कि स्थितियां और बिगड़ेंगी।

 ⁠

READ MORE: बच्चों के बस्ते को तकिया बनाकर आराम फरमाते दिखे प्रिंसिपल साहब, वीडियो वायरल 

लगभग चार सौ तीस एकड़ में फैली झील की तलहटी में जमा सिल्ट को निकालने का काम पोकलेन डंफर जैसे परंपरागत साधनों से करने का शहर के जागरूक लोगों ने पुर जोर विरोध किया था। इस पद्धति में भर्ष्टाचार की गुंजाइश के चलते लोगों की मांग थी कि पानी में तैरते हुए तलहटी साफ करने वाली मशीन ड्रेजर से सागर झील की सफाई की जाए, लेकिन जन आंदोलन होने के बाद भी स्मार्ट सिटी और जनप्रतिनिधियो ने जनता की इस मांग को दरकिनार कर दिया और अब दावा करते है कि लगभग 35 हजार डंफर सिल्ट निकाली गई है। निकाली गई सिल्ट कहाँ फेंकी गई इसके भौतिक सत्यापन से स्मार्टसिटी हमेशा कतराती रही। सिल्ट निकालने के मनगढंत दावों और भुगतान किए जाने को लेकर लगातार खुलासे होते रहे, लेकिन कोई ठोस कार्यवाही या जांच कभी नहीं की गई।

READ MORE: जमीन के लिए जमकर हो रही शादियां, गैर आदिवासी रचा रहे आदिवासी लड़कियों से ब्याह और फिर… 

लोगों का दावा है कि जितनी सिल्ट निकालने का दावा स्मार्ट सिटी कर रही है उससे कहीं अधिक मुरम झील में डाल दी गयी है। शहर के लगभग 40 छोटे बड़े नालो का गंदा पानी वर्षो से झील में जा रहा था। इस वजह से झील का पानी अत्यंत प्रदूषित हो चुका था। झील के उन्नयन के लिए सबसे अहम काम इन नालो को बंद करना था जिसके लिए झील के अंदर चारो और सीमेंट के पाइप डाले गए और नालो को इन पाइपों से जोड़ कर गंदा पानी एक और डिस्चार्ज किया गया लेकिन इस जरूरी काम में भी लापरवाही बरती गई,पाइप बिछाने के दौरान ही कई दफा लीकेज हुए और गंदा पानी झील में जाता रहा,आज भी नालो को जोड़ने वाले चेम्बरो से रिसता पानी झील में जाता दिखाई देता है,इसके साथ ही एक और बड़ी चूक की गई।

READ MORE: मौत ने दी चुपके से दस्तक, चैन की नींद सो रहे मासूम बेटे ने तोड़ा दम, पिता की हालत गंभीर, जानें मामला

इस झील सफाई के काम के साथ ही शहर में नगर निगम द्वारा सीवर लाइन का काम भी किया जा रहा है लापरवाही की हद देखिये की इस सीवर लाइन को भी तालाब में से गुजार कर शहर के अन्य आवादी इलाको से जोड़ा गया यानी नालो के पानी को समेटे पाइप लाइन और सीवर लाइन के पाइप दोनो ही झील के अंदर डाल दिये गए,जिस प्रदूषित पानी से झील को बचाना था उसी गंदे पानी की पाइप लाइन जिमेदारो ने झील में डाल कर पूरे सफाई प्रोजेक्ट पर सवाल खड़े कर दिए लेकिन मनमानी का आलम यह कि लाख शिकायतों और प्रदर्शनों के बाद भी जिम्मेदारों ने किसी की एक न सुनी और झील को गंदा करने का इंतजाम झील सफाई के नाम पर ही कर दिया गया है।

READ MORE: नशेड़ियों के लिए बड़ी मात्रा में लाई जा रही थी ये खास दवा, सौदागरों को पुलिस ने दबोचा 

NGT के एक आदेश के अनुसार सागर की लाखा बंजारा झील में कोई भी निर्माण कार्य नही किया जा सकता और न ही किसी भी कारण से इसका क्षेत्रफल कम किया जा सकता है, लेकिन NGT के आदेश के बाद भी न झील के किनारों पर अतिक्रमण कर बनाई इमारतों को हटाया गया और न ही नव निर्माण रोके गए, बल्कि भराव कर पाथवे बना दिया गया जिस कारण झील का क्षेत्र कम हुआ। इस पाथवे के कारण अतिक्रमण वैध होते दिखाई दे रहे है। दूसरी तरफ बसस्टेंड से ऐतिहासिक चकराघाट तक झील के सीने पर फ्लाईओवर ब्रिज भी तान दिया गया। तर्क दिया गया कि बड़ाबाजार इलाके का ट्रैफिक डाइवर्ट होगा और लोगों को सुविधा होगी, लेकिन ऐतिहासिक महत्त्व के चकराघाट का इलाका बेहद सकरा है। ब्रिज सिर्फ दोपहिया वाहनों के लिए ही मुफीद रह पायेगा, जबकि दो पहिया वाहनों के लिए अन्य वैकल्पिक रास्ते भी खेजे जा सकते थे लेकिन स्मार्ट सिटी के फंड को ठिकाने लगाने की जल्दबाजी कहें या मनमानी आखिर ब्रिज बना कर इस विशाल और सुंदर झील को अब तीन हिस्सों में बांट दिया गया है।

READ MORE: एमपी के इस स्कूल ने उठाई हिन्दू धार्मिक चिन्हों पर आपत्ति, ABVP और हिन्दू संगठन ने जताया विरोध

लोगों का कहना है कि इस गैर जरूरी ब्रिज की जगह इस पैसे से रोजगारमूलक कोई कार्य किया जाता तो वह शहर वासियों के हित में होता।झील की सिल्ट निकालने के नाम पर झील को ख़ाली किया गया, जिस कारण एक करोड़ कीमत की नई क्रूज वोट अब तीन साल में कबाड़ हो चुकी है। स्मार्टसिटी के अधिकारियों का दावा है कि घाटों का काम प्रगति पर है, लेकिन धरातल पर ऐसा कुछ दिखाई नही देता। अब इंतजार है तो झील में पानी का, लेकिन बारिस भी उतना साथ नही दे रही कि झील में चारो तरफ पानी दिखाई दे और जो लीपापोती को ढक दे। झील खुद अपनी कहानी बयां कर रही है। आते जाते शहरी तालाब को देख कर स्मार्टसिटी और जिम्मेदारों को कोसते हुए निकल जाते हैं। सागर की इस ऐतिहासिक लाखा बंजारा झील से सागरवासियो का भावनात्मक रिश्ता रहा है।

READ MORE: लापरवाही का जिम्मेदार कौन..? अनहोनी के बाद भी स्कूल में मासूम बच्चों से करवाया जा रहा भयानक काम 

यही वजह है कि लगभग चार दसको से यह झील चुनावी मुद्दा रही है, लेकिन अब झील का कायाकल्प किये जाने की स्थितियां बनी तो भ्रष्टाचार के चलते झील की दशा और बुरी हो गयी है। चूंकि चुनाव निकट है तो विपक्ष फिर झील की शरण मे है और झील की दुर्दशा के लिये आरोप प्रत्यारोप का दौर फिर शुरू हो गया है। मप्र के नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह का भी यह सागर गृह जिला है सो सीधे तौर पर झील के काम मे हुई हीलाहवाली की जिम्मेदारी से मंत्री बच नही सकते। झील को सुंदर बनाने का तीन साल से दावा करने वाले सागर विधायक शैलेन्द्र जैन ने भी अब इस झील के विषय मे चर्चा करने के लिए समय नही दिया, लेकिन हमारे पर विधायक के दावों के पुराने बयान सुरक्षित है, जिसमे वे कहते नजर आते है कि हमने झील को साफ कर दिया है और बहुत जल्दी इसका पानी कंचन हो जाएगा, लेकिन वर्तमान स्थिति देख कर यह अंदाज लगाया जा सकता है कि विधायक सहित सभी जिम्मेदारों के वादे कोरे है और दावे किताबी हैं। IBC24 से उमेश यादव की रिपोर्ट

IBC24 की अन्य बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करें

 


लेखक के बारे में