वर्ष 2028 के सिंहस्थ कुंभ मेले से पहले प्रदूषण से मुक्त होगी क्षिप्रा : मोहन यादव

वर्ष 2028 के सिंहस्थ कुंभ मेले से पहले प्रदूषण से मुक्त होगी क्षिप्रा : मोहन यादव

वर्ष 2028 के सिंहस्थ कुंभ मेले से पहले प्रदूषण से मुक्त होगी क्षिप्रा : मोहन यादव
Modified Date: December 29, 2025 / 08:48 pm IST
Published Date: December 29, 2025 8:48 pm IST

इंदौर, 29 दिसंबर (भाषा) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोमवार को कहा कि उज्जैन में वर्ष 2028 के दौरान लगने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले से पहले क्षिप्रा नदी को प्रदूषण से पूरी तरह मुक्त किया जाएगा और इस विशाल धार्मिक आयोजन के दौरान लाखों श्रद्धालु इसके शुद्ध जल में स्नान करेंगे।

सिंहस्थ कुंभ मेला भगवान शिव के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग वाली धार्मिक नगरी उज्जैन में हर 12 साल में क्षिप्रा नदी के तट पर लगता है।

यादव ने इंदौर जिले के चित्तौड़ा गांव में एक श्रीमद् भागवत कथा कार्यक्रम के समापन समारोह में कहा, ‘‘सिंहस्थ कुंभ मेले के दौरान श्रद्धालु क्षिप्रा नदी के शुद्ध जल में स्नान करेंगे। इसके लिए बारिश के दौरान एक जलाशय में पानी जमा किया जाएगा जिसे धीरे-धीरे क्षिप्रा में छोड़ा जाएगा। इससे इस नदी में सतत प्रवाह बना रहेगा।’’

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उन्होंने कहा कि श्रद्धालु सिंहस्थ कुंभ मेले के दौरान क्षिप्रा नदी के जल से पूरी श्रद्धा के साथ आचमन भी करते हैं, इसलिए इस नदी के पानी की शुद्धता का पूरा ध्यान रखा जाएगा।

यादव ने जोर देकर कहा कि आगामी सिंहस्थ कुंभ मेला पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ेगा।

उज्जैन में पिछला सिंहस्थ कुम्भ मेला 2016 के दौरान लगा था। इसके लिए प्रदेश सरकार ने नर्मदा-क्षिप्रा सिंहस्थ लिंक परियोजना के जरिये नर्मदा नदी का जल लम्बी दूरी की पाइपलाइन के जरिये क्षिप्रा नदी में छोड़ा था और श्रद्धालुओं ने इस जल में स्नान किया था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ऐसी व्यवस्था कर रही है कि आगामी सिंहस्थ कुंभ मेले में श्रद्धालु क्षिप्रा नदी के ही शुद्ध जल में स्नान करेंगे।

बहरहाल, क्षिप्रा नदी को प्रदूषण से मुक्त करना प्रदेश सरकार के सामने बड़ी चुनौती की तरह है और कई साधु-संत भी इस विषय में चिंता जता चुके हैं।

इंदौर जिले के ग्रामीण क्षेत्र से निकलने वाली क्षिप्रा बहते-बहते उज्जैन पहुंचती है जहां हर 12 साल में लगने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले में लाखों श्रद्धालु इस नदी में स्नान करते हैं। क्षिप्रा को हिंदुओं की धार्मिक मान्यताओं में ‘मोक्षदायिनी नदी’ भी कहा जाता है।

अधिकारियों ने बताया कि देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में गंदे नाले में तब्दील कान्ह और सरस्वती नदियों का पानी भी आगे जाकर क्षिप्रा में मिलता है और इसमें होने वाले प्रदूषण में इजाफा करता है।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2028 के सिंहस्थ कुंभ मेले के मद्देनजर क्षिप्रा नदी को कान्ह और सरस्वती नदियों के गंदे पानी से बचाने के लिए अलग योजना बनाई गई है।

भाषा हर्ष नोमान

नोमान


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