‘चूहों के हमले’ में दो नवजात बच्चियों की मौत घोर लापरवाही : मप्र उच्च न्यायालय

'चूहों के हमले' में दो नवजात बच्चियों की मौत घोर लापरवाही : मप्र उच्च न्यायालय

‘चूहों के हमले’ में दो नवजात बच्चियों की मौत घोर लापरवाही : मप्र उच्च न्यायालय
Modified Date: September 11, 2025 / 07:47 pm IST
Published Date: September 11, 2025 7:47 pm IST

इंदौर, 11 सितंबर (भाषा) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने इंदौर के शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय (एमवायएच) में चूहों के हमले के बाद दो नवजात बच्चियों की मौत के मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए इस घटना को ‘पहली नजर में एमवायएच प्रशासन की घोर लापरवाही’ करार दिया है।

उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति विवेक रुसिया और न्यायमूर्ति जय कुमार पिल्लई ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया। युगल पीठ ने कहा कि उसे अखबारों के समाचारों के आधार पर इस चौंकाने वाली घटना के बारे में पता चला जिसका जनहित याचिका के तौर पर स्वत: संज्ञान लिए जाने की जरुरत है।

उच्च न्यायालय ने एमवायएच के गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में चूहों के हमले के बाद दो नवजात बच्चियों की मौत का हवाला देते हुए बुधवार के आदेश में कहा, ‘पहली नजर में यह (घटना) एमवायएच प्रशासन की घोर लापरवाही प्रतीत होती है।’

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युगल पीठ ने इस मामले में प्रदेश के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव, इंदौर के शासकीय महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता (डीन), इंदौर संभाग के आयुक्त (राजस्व), इंदौर के जिलाधिकारी और इंदौर के पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है।

उच्च न्यायालय ने अतिरिक्त महाधिवक्ता को निर्देश दिया है कि वह मामले से जुड़ी पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रतियों के साथ नोटिस का जवाब पेश करें।

अदालत ने इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता पीयूष माथुर को न्याय मित्र नियुक्त किया और अगली सुनवाई के लिए 15 सितंबर की तारीख तय की।

सूबे के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में गिना जाने वाला एमवायएच, शासकीय महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय से जुड़ा है।

एमवायएच के अधिकारियों ने बताया कि 31 अगस्त और एक सितंबर की दरम्यानी रात को अस्पताल के आईसीयू में चूहों ने अलग-अलग जन्मजात विकृतियों से जूझ रही दो नवजात बच्चियों पर हमला किया जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी। इनमें से एक बच्ची का परिवार देवास जिले में रहता है, जबकि दूसरी बच्ची का परिवार धार जिले का निवासी है।

घोर लापरवाही के आरोपों से घिरे एमवायएच प्रशासन का दावा है कि दोनों नवजात बच्चियों की मौत का चूहों के काटने से कोई लेना-देना नहीं है और उन्होंने अलग-अलग जन्मजात विकृतियों के कारण पहले से मौजूद गंभीर स्वास्थ्यगत परेशानियों के कारण दम तोड़ा।

चूहों के काटे जाने के बाद नवजात बच्चियों की मौत के मामले में एमवायएच प्रशासन अब तक आठ अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई कर चुका है जिसमें निलंबन और पद से हटाए जाने के कदम शामिल हैं।

इस बीच, एमवायएच के अधीक्षक डॉ. अशोक यादव अपने ‘अत्यंत खराब स्वास्थ्य’ का हवाला देते हुए बृहस्पतिवार से 15 दिन की छुट्टी पर चले गए हैं।

सामाजिक संगठनों के साथ ही दोनों मृत नवजात बच्चियों के परिवारों ने महाविद्यालय के डीन और एमवायएच के अधीक्षक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग पूरी नहीं होने पर असंतोष जताया है।

भाषा

हर्ष, रवि कांत

रवि कांत


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