Ujjain Simhastha 2028: सरकार की सिंहस्थ 2028 लैंड पुलिंग योजना, किसानों में दो फाड़… कुछ विरोध में तो कई ने कह दी ये बड़ी बात

सिंहस्थ 2028 के महापर्व की तैयारियों को लेकर मध्य प्रदेश सरकार की लैंड पुलिंग योजना ने किसानों में सहमति और असहमति दोनों तरह की प्रतिक्रियाएँ पैदा कर दी हैं। कुछ किसान अपनी जमीन की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, जबकि कई इसे शहर और धार्मिक आयोजन के विकास के लिए आवश्यक कदम मान रहे हैं।

Ujjain Simhastha 2028: सरकार की सिंहस्थ 2028 लैंड पुलिंग योजना, किसानों में दो फाड़… कुछ विरोध में तो कई ने कह दी ये बड़ी बात

Ujjain Simhastha 2028 / Image Source: IBC24

Modified Date: November 12, 2025 / 04:05 pm IST
Published Date: November 12, 2025 2:26 pm IST
HIGHLIGHTS
  • सिंहस्थ 2028 के लिए लैंड पुलिंग योजना में किसानों में मतभेद।
  • भारतीय किसान संघ ने प्रारंभ में कड़ा विरोध किया, लेकिन अब विरोध कमजोर।
  • कई किसानों ने योजना का समर्थन किया, इसे विकास के लिए लाभकारी बताया।

Ujjain Simhastha 2028: उज्जैन: साल 2028 में आयोजित होने वाले ऐतिहासिक सिंहस्थ महापर्व की तैयारियों को लेकर मध्य प्रदेश सरकार ने लैंड पुलिंग योजना के तहत स्थायी निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस योजना का उद्देश्य सिंहस्थ क्षेत्र में श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराना है। प्रारंभिक चरण में इस योजना का भारतीय किसान संघ ने विरोध किया था जिससे किसानों और प्रशासन के बीच तनावपूर्ण स्थिति बन गई थी लेकिन अब विरोध धीरे-धीरे कमजोर पड़ता नजर आ रहा है।

किसानों का विरोध

उज्जैन क्षेत्र के कुछ किसान इसे अपनी जमीन के नुकसान और संभावित आर्थिक हानि से जोड़कर विरोध कर रहे हैं। वहीं, बहुत से किसान इसे शहर के विकास और आगामी महापर्व के लिए आवश्यक कदम मानते हुए सरकार के पक्ष में खड़े हैं। समर्थक किसानों का कहना है कि सरकार जबरदस्ती किसी की जमीन नहीं ले रही है और उचित मुआवजा देने का प्रावधान किया गया है। महेश आंजना, जो 450 बीघा जमीन में से 225 बीघा योजना में शामिल कर चुके हैं, बताते हैं कि ये कदम किसानों के लिए लाभकारी होगा। राजाराम आंजना और जितेंद्र पटेल जैसे अन्य किसानों ने भी योजना का समर्थन किया और इसे क्षेत्र के विकास और यात्रियों की सुविधा के दृष्टिकोण से आवश्यक बताया।

भारतीय किसान संघ का आंदोलन

वहीं, विरोध करने वाले किसानों और भारतीय किसान संघ ने योजना के खिलाफ कई आंदोलन किए। 12 फरवरी 2025 को तहसील स्तर पर प्रदर्शन कर तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा गया। इसके बाद16 सितंबर 2025 को चिमनगंज मंडी से शुरू होकर जिला कार्यालय तक 2000 ट्रैक्टरों की विशाल रैली आयोजित की गई, जिसमें राष्ट्रीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र की भी उपस्थिति रही। 4 अक्टूबर 2025 को मातृशक्ति ने सद्बुद्धि यज्ञ का आयोजन किया और 500 महिलाओं ने आहुति दी।

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इसके बाद बाबा महाकाल को ज्ञापन सौंपा गया। 10 नवंबर 2025 को ढोल-नगाड़ों के साथ विरोध प्रदर्शन किया गया और ज्ञापन विधायक और सांसद अनिल फिरोजिया को सौंपा गया साथ ही मुख्यमंत्री कार्यालय पर भी ज्ञापन चस्पा किया गया। इस तरह आंदोलन के जरिए विरोध पक्ष ने अपनी चिंता और असहमति जाहिर की।

संत समाज का पक्ष

संत समाज और प्रशासन ने इस विवाद को सुलझाने में बड़ी भूमिका निभाई। निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर प्रेमानंद पुरी महाराज ने कहा कि सिंहस्थ क्षेत्र में जमीन अधिग्रहण का विवाद अब समाप्त हो चुका है। उन्होंने ये स्पष्ट किया कि अब केवल उन्हीं किसानों की जमीन अधिग्रहित की जाएगी जो इसके लिए सहमति देंगे। उज्जैन कलेक्टर रोशन सिंह ने भी पुष्टि की कि हाल ही में जारी आदेश के अनुसार अनिच्छुक किसानों की जमीन अधिग्रहण से बाहर रखी जाएगी। इस आदेश ने किसानों और प्रशासन के बीच संतुलन बनाए रखा है और योजना को आगे बढ़ाने में मदद की।

योजना का भविष्य

लैंड पुलिंग योजना का उद्देश्य सिंहस्थ महापर्व में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए बेहतर आधारभूत संरचना और स्थायी निर्माण करना है। इसमें सड़क, जल, स्वास्थ्य और आवास जैसी सुविधाओं का विकास शामिल है। समर्थक किसानों का मानना है कि योजना से उनके क्षेत्र का भी विकास होगा और आने वाले सालों में जमीन का मूल्य बढ़ने की संभावना है। हालांकि विरोधी किसानों की चिंता भी जायज है क्योंकि उनकी जमीन और परंपरागत जीवनशैली प्रभावित हो सकती है। हालांकि प्रशासन ने ये सुनिश्चित किया है कि योजना के कार्य निष्पक्ष और सहमति आधारित तरीके से ही आगे बढ़ेंगे।

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