Ujjain News: अश्लील पहनावे के लिए मां-बाप जिम्मेदार? उज्जैन मंदिर परिसर में महिलाओं के पहनावे पर लगे पोस्टर से मचा बवाल, पुजारी महासंघ ने कह दी ये बड़ी बात
Ujjain News: अश्लील पहनावे के लिए मां-बाप जिम्मेदार? उज्जैन मंदिर परिसर में महिलाओं के पहनावे पर लगे पोस्टर से मचा बवाल, पुजारी महासंघ ने कह दी ये बड़ी बात
Ujjain News/Image Source: IBC24
- मंदिर में महिलाओं के पहनावे को लेकर लगा विवादित पोस्टर,
- पुजारी महासंघ ने किया समर्थन,
- आस्था बनाम आज़ादी की बहस तेज,
उज्जैन: Ujjain News: मध्य प्रदेश में महिलाओं के पहनावे को लेकर जारी बहस अब मंदिरों तक जा पहुंची है। उज्जैन से लगभग 55 किलोमीटर दूर नागदा के बिरला ग्राम स्थित बड़े गणेश मंदिर में एक विवादित पोस्टर लगाए जाने के बाद सामाजिक और धार्मिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। पोस्टर में लड़कियों के कपड़ों को लेकर पांच तीखे सवाल पूछे गए हैं और उनके लिए माता-पिता को जिम्मेदार ठहराया गया है।
Ujjain News: यह मामला कथावाचक अनिरुद्धाचार्य और स्वामी प्रेमानंद महाराज (मथुरा वाले) की महिलाओं के पहनावे को लेकर की गई हालिया टिप्पणियों के बाद और अधिक गर्मा गया है। उनकी टिप्पणियों के बाद पहले से ही जनमानस में बहस छिड़ी हुई थी, और अब मंदिर परिसर में इस तरह के पोस्टर लगाए जाने से विवाद ने धार्मिक स्वरूप ले लिया है। किसने लगाया पोस्टर, रहस्य बरकरार मंदिर समिति, प्रशासन और स्थानीय लोगों में से किसी के पास यह स्पष्ट जानकारी नहीं है कि यह पोस्टर किसने और कब लगाया।हालांकि, पोस्टर के अंत में “जनजागरण समिति” का नाम उल्लेखित है, जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यह किसी सामाजिक संगठन की पहल हो सकती है। लेकिन अब तक किसी भी संस्था या समूह ने इसकी जिम्मेदारी औपचारिक रूप से नहीं ली है। पुजारी महासंघ ने किया समर्थन इस पूरे घटनाक्रम को लेकर अखिल भारतीय पुजारी महासंघ ने पोस्टर का समर्थन किया है।
Ujjain News: महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं महाकाल मंदिर के वरिष्ठ पुजारी महेश शर्मा ने कहा “मंदिर आस्था और मर्यादा का केंद्र होता है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं, विशेषकर युवतियों को शालीनता के साथ प्रवेश करना चाहिए। दक्षिण भारत के कई मंदिरों में पहले से ही ड्रेस कोड लागू है, और उज्जैन के महाकाल मंदिर के गर्भगृह में भी यही व्यवस्था है। अगर श्रद्धालु शालीन वस्त्र पहनें, तो यह सनातन संस्कृति के सम्मान का प्रतीक होगा।” पोस्टर के माध्यम से पूछे गए तीखे सवाल मंदिर के बाहर लगाए गए इस पोस्टर में पांच बिंदुओं के ज़रिए लड़कियों के पहनावे पर सवाल उठाए गए हैं।
खास बात यह है कि इन सवालों में सीधे तौर पर माता-पिता को उत्तरदायी ठहराया गया है
- क्या टीवी-शो और फिल्मों से प्रभावित होकर नासमझ छोटी बेटियों (4, 6, 8 वर्ष) को अमर्यादित और फूहड़ कपड़े पहनाने वाली मां स्वयं दोषी नहीं है?
- क्या 10 वर्ष से अधिक आयु की बेटियों के टाइट, छोटे व अमर्यादित वस्त्र पहनने पर मौन रहने वाला पिता जिम्मेदार नहीं है?
- क्या अर्धनग्न कपड़े पहनने वाली लड़की को मॉडर्न व स्मार्ट मानना सही सोच है?
- क्या विचारों की स्वतंत्रता के नाम पर बेटियों को अश्लील पहनावे की छूट देना उचित है?
- क्या यह समझा जाए कि शालीन और मर्यादित कपड़े बेटी के लिए एक सुरक्षा कवच हैं?
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Ujjain News: सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं जैसे ही पोस्टर की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, इस मुद्दे को लेकर दो धड़े बन गए। एक पक्ष का कहना है कि यह महिला स्वतंत्रता और व्यक्तिगत पसंद पर सीधा हमला है, जो संविधान और मौलिक अधिकारों के खिलाफ है। वहीं दूसरा पक्ष इसे भारतीय संस्कृति, पारंपरिक मर्यादा और धार्मिक स्थलों की गरिमा बनाए रखने की दिशा में जरूरी पहल बता रहा है। मंदिर समिति और प्रशासन अब तक मौन विवाद बढ़ने के बावजूद स्थानीय प्रशासन और मंदिर समिति की ओर से अब तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। न ही पोस्टर हटाने को लेकर कोई स्पष्ट कदम उठाया गया है। इस चुप्पी के बीच अब लोगों की नजरें प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।

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