Ravan village: ये है रावन गांव! दशहरे के दिन मनाया जाता है मातम, यहां लंकापति की होती है विशेष पूजा, रावण बाबा का पुजारी है पूरा गांव
A village name Ravan: ये है रावण गांव! दशहरे के दिन मनाया जाता है मातम, यहां लंकापति की होती है विशेष पूजा, रावण बाबा का पुजारी है पूरा गांव
A village name Ravan: विदिशा। विदिशा जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर नटेरन ब्लॉक है इस ब्लॉक में एक ग्राम रावण है। जहां दशहरे पर खुशियां नहीं मातम मनाया जाता है। यहां ग्राम का नाम ही रावण है जहां रावण बाबा की विशाल मूर्ति लेटी अवस्था में है। यहां दशहरे पर लंकेश की विशेष पूजा की जाती है और हर रोज मंदिर में ग्रामवासी पूजा करते हैं। रावण कुल से कानकुब्ज ब्राह्मण थे और ग्राम रावण भी पूरा का पूरा कानकुब्ज बहुल ब्राह्मण गांव है। यहां पर भवनों के नाम जय लंकेश के नाम पर हैं। यहां ट्रैक्टर कार दोपहिया वाहनों पर जय लंकेश लिखा रहता है। शरीर पर लोग गोदने भी जय लंकेश के गुदवाते हैं। कुल मिलाकर यहां लंकाधिपति प्रथम पूज्य देवता के रूप में माने जाते हैं।
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पहला निमंत्रण रावण बाबा को
A village name Ravan: यहां मूर्ति को जब भी खड़ा करने की कोशिश की गई गांव में कुछ न कुछ अपसगुन ही हुआ। यहां तक की शादी का प्रथम निमंत्रण इनके मंदिर पर नहीं रखने से भी परेशानियां निर्मित हुई। प्रधान पुजारी का कहना है की शादी के समय अगर इन्हें पहला निमंत्रण कार्ड ना भेजा जाए तो शादी की रसोई में चढ़ने वाली कढ़ाई भी पूरे दिन ठंडी बनी रहती है उसमें गर्माहट नहीं, आती इस कारण हम इन्हें प्रथम पूज्य के रूप में पूछते हैं। यहां तक की गांव में रामायण का पाठ भी बैठाते हैं तो पहले आकर यहां रावण बाबा के मंदिर में उन्हें निमंत्रित किया जाता है।
लंकापति का प्राचीन मंदिर
A village name Ravan: विदिशा जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर की दूरी पर रावण गांव में लंकापति रावण का प्राचीन मंदिर बना हुया है। रावण के नाम से ही रावण गांव का नाम पड़ा है। खास बात तो यह है इस पूरे ग्राम में ब्राह्मण समाज के लोग ही निवास करते है। सभी रावण की पूजा करते हैं। बताया जाता है लंका पति रावण ब्राह्मण समाज के कुलदेवता माने जाते हैं क्योंकि रावण भी एक विधवान ब्राह्मण थे। आज भी उन्हें इसलिए कुलदेवता के रूप में पूजा जाता है।
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शुभ काम से पहले हाजरी लगाना जरूरी
A village name Ravan: लोगों का मानना है गांव में कोई भी शुभ कार्य के पहले रावण को भोग लगाया जाता है। अगर कोई कारज के पहले लंका पति रावण को भोग या उनके दरबार में हाजरी नहीं देता तो गांव में कोई बड़ी अनहोनी हो जाती है। रावण बाबा मंदिर में सालों से पूजा कर रहे पुजारी पंडित नरेश महाराज बताते है पूरे गांव की व्यवस्था चलाने वाले हमारे गांव में रावण बाबा है, जो भी गांव की व्यवस्था चलती है वो रावण बाबा के इधर से ही चलती है। अकसर दूसरी जगह शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश को पूजा जाता है।
रावण को मानते है भगवान
A village name Ravan: पंडित नरेश महाराज तिवारी पुजारी रावण बाबा मंदिर ग्राम रावण यह हमारे रावण बाबा जी का मंदिर है आश्रम है यहां हमारे सारे शुभ कार्य होते हैं चाहे कोई गांव में यज्ञ हो शादी हो रामायण जी का पाठ बिठाना हो उन्हें याद किया जाता है। शादी में तो अगर निमंत्रण कार्ड पहला यहां ना भेजा जाए तो रसोई की कढ़ाई दिनभर गरम नहीं होती। पहले यहां की अगर पूजा नहीं हुई तो हमारे यहां अनिष्ट होता है। तो वहीं रावण गांव के सरंपच राम कारण किरार का कहना है कि हम रावण बाबा को भगवान मानते हैं। यह ज्ञानी है ब्राह्मण है और इनके बगैर हमारा कोई भी कार्य शुरू नहीं होता। इस मंदिर के पीछे एक किवदंती है कि यहां मंदिर के पास ही एक पहाड़ी है बूद्धे की जहां एक राक्षस रावण से लड़ने आता था। लेकिन जब वह सामने आता था तो उसकी आदि शक्ति रावण के पास पहुंच जाती थी। इस बात को रावण ने जब पूछा तो उसने स्वीकार किया तब रावण ने कहा कि तुम उसी क्षेत्र में मेरे से लड़ने आओ।



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