बदलापुर मामला: अदालत ने ‘मुठभेड़’ के लिए पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराने वाली रिपोर्ट को स्थगित रखा

बदलापुर मामला: अदालत ने 'मुठभेड़' के लिए पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराने वाली रिपोर्ट को स्थगित रखा

बदलापुर मामला: अदालत ने ‘मुठभेड़’ के लिए पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराने वाली रिपोर्ट को स्थगित रखा
Modified Date: February 26, 2025 / 12:56 pm IST
Published Date: February 26, 2025 12:56 pm IST

मुंबई, 26 फरवरी (भाषा) बदलापुर स्कूल यौन उत्पीड़न मामले में एक आरोपी की हिरासत में मौत के लिए दोषी ठहराए गए पांच पुलिसकर्मियों को आंशिक राहत देते हुए एक सत्र अदालत ने कथित मुठभेड़ की वैधता पर सवाल उठाने वाली मजिस्ट्रेट की जांच रिपोर्ट के निष्कर्षों को ‘स्थगित’ रखा है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डी. आर. देशपांडे ने 21 फरवरी के आदेश में कहा कि हिरासत में मौत के मामले में राज्य अपराध जांच विभाग (सीआईडी) द्वारा की जा रही जांच उसी तरह आगे बढ़ेगी, जैसे वह मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट से स्वतंत्र होकर की जा रही थी।

आरोपी अक्षय शिंदे को महाराष्ट्र के ठाणे जिले के बदलापुर इलाके में एक स्कूल के शौचालय के अंदर दो नाबालिग लड़कियों का कथित रूप से यौन उत्पीड़न करने के आरोप में अगस्त 2024 में गिरफ्तार किया गया था। वह स्कूल में कर्मचारी था।

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पिछले साल 23 सितंबर को शिंदे की कथित पुलिस गोलीबारी में मौत हो गई थी। उसे उसकी पत्नी द्वारा उसके खिलाफ दर्ज कराए गए मामले के संबंध में पूछताछ के लिए नवी मुंबई की तलोजा जेल से ले जाया जा रहा था।

पुलिस ने दावा किया था कि उसने पुलिस वैन में मौजूद एक पुलिसकर्मी की पिस्तौल छीनकर गोली चलाई और जवाबी गोलीबारी में वह मारा गया।

पुलिस ने दावा किया कि उसे वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक संजय शिंदे ने गोली मारी थी।

गोलीबारी के समय वैन में सहायक पुलिस निरीक्षक नीलेश मोरे, दो कांस्टेबल और एक पुलिस वाहन चालक भी मौजूद थे।

मजिस्ट्रेट ने अपनी रिपोर्ट में ठाणे अपराध शाखा के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक संजय शिंदे, सहायक पुलिस निरीक्षक नीलेश मोरे, हेड कांस्टेबल अभिजीत मोरे और हरीश तावड़े तथा कांस्टेबल सतीश खताल को दोषी ठहराया था।

मजिस्ट्रेट ने हिरासत में आरोपी की मौत के लिए पुलिसकर्मियों को जिम्मेदार ठहराया तथा आत्मरक्षा में उस पर गोली चलाने के उनके दावे पर संदेह जताया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिसकर्मी स्थिति को नियंत्रित करने की स्थिति में होने के बावजूद ऐसा करने में विफल रहे और इस तरह के बल का उपयोग उचित नहीं था।

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पुलिसकर्मियों के पुनरीक्षण आवेदन की अंतिम सुनवाई लंबित रहने तक मजिस्ट्रेट की जांच रिपोर्ट के दो पैराग्राफ के संबंध में निष्कर्षों को ‘स्थगित रखा जाना चाहिए’।

अदालत ने कहा, ‘मजिस्ट्रेट के निष्कर्षों, विशेषकर अंतिम पैराग्राफ 81 और 82 को अगली तारीख तक स्थगित रखा जाता है।’

अदालत अब पांच मार्च को मामले पर सुनवाई करेगी।

भाषा जोहेब नरेश

नरेश


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