बदलापुर मुठभेड़: पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं करने पर अदालत ने मांगा जवाब, चेतावनी दी

बदलापुर मुठभेड़: पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं करने पर अदालत ने मांगा जवाब, चेतावनी दी

बदलापुर मुठभेड़: पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं करने पर अदालत ने मांगा जवाब, चेतावनी दी
Modified Date: April 25, 2025 / 01:58 pm IST
Published Date: April 25, 2025 1:58 pm IST

मुंबई, 25 अप्रैल (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह बदलापुर स्कूल यौन उत्पीड़न मामले के आरोपी अक्षय शिंदे की हिरासत में मौत के सिलसिले में उसके स्पष्ट आदेश के बावजूद पांच पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं किए जाने से ‘‘स्तब्ध’’ है।

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की पीठ ने चेतावनी दी कि यदि आज यानी शुक्रवार को उसके आदेश का पालन नहीं किया गया तो वह महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ आपराधिक अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करेगी।

अदालत ने कहा कि उसके पिछले आदेश का ‘‘बेशर्मी से उल्लंघन’’ किया गया जो आपराधिक अवमानना ​​के बराबर है।

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उच्च न्यायालय ने सात अप्रैल के अपने आदेश में कहा था कि जब अपराध का प्रथम दृष्टया खुलासा होता है, तो जांच एजेंसी के लिए प्राथमिकी दर्ज करना अनिवार्य होता है, जैसा कि उच्चतम न्यायालय ने ललिता कुमारी मामले में दिए निर्णय में निर्धारित किया है।

अदालत ने संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) लखमी गौतम की निगरानी में एक विशेष जांच दल के गठन का आदेश दिया था। उसने कहा था कि गौतम अपनी पसंद के अधिकारियों को शामिल करते हुए एसआईटी का गठन करेंगे और इसका नेतृत्व पुलिस उपायुक्त करेंगे। उसने पुलिस हिरासत में शिंदे की मौत की जांच कर रहे राज्य के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) को दो दिन के भीतर मामले के सभी दस्तावेज गौतम को सौंपने का निर्देश दिया था।

जब पीठ को शुक्रवार को पता चला कि आदेश का अनुपालन नहीं किया गया है तो उसने सरकार को कड़ी फटकार लगाई।

पीठ ने शुक्रवार को कहा कि वह इस बात से ‘‘स्तब्ध’’ है कि उसके आदेश का पालन नहीं किया गया।

उसने कहा, ‘‘हमारे आदेश का बेशर्मी के साथ उल्लंघन किया गया। ऐसा कैसे हो सकता है कि राज्य सरकार उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेशों का पालन न करे? अगर मामले के कागजात आज ही हस्तांतरित नहीं किए गए तो आपराधिक अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करनी होगी।’’

अदालत ने मामले में आगे की सुनवाई शुक्रवार दोपहर बाद के लिए स्थगित करते हुए कहा कि अगर सरकार सात अप्रैल के आदेश का पालन करने के लिए शुक्रवार को ही कदम नहीं उठाती है तो वह आपराधिक अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने पर विचार करेगी।

सरकारी वकील हितेन वेनेगांवकर ने अदालत को बताया कि सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए नौ अप्रैल को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा कि याचिका पर सुनवाई पांच मई को होने की संभावना है। पीठ ने कहा कि यदि उच्चतम न्यायालय ने उसके आदेश पर रोक नहीं लगाई है तो सरकार उसका अनुपालन करने के लिए बाध्य है।

उसने कहा, ‘‘कानून के शासन का पालन किया जाना चाहिए। आपको आदेश का अनुपालन करना होगा अन्यथा हम अवमानना ​​(नोटिस) जारी करने के लिए बाध्य होंगे। उच्चतम न्यायालय ने हमारे आदेश में हस्तक्षेप नहीं किया है। यह अवमानना ​​के बराबर है। इसे आज ही करें।’’

पीठ ने कहा, ‘‘ललिता कुमारी मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुसार, हमारे आदेश के तुरंत बाद प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए थी। करीब एक महीना होने वाला है और हमारे आदेश का अनुपालन करने के लिए कुछ भी नहीं किया गया है।’’

उसने कहा कि अगर सरकार उसके आदेश से इतनी ही व्यथित थी, तो उसे उच्चतम न्यायालय में तत्काल सुनवाई का अनुरोध करना चाहिए था।

पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने रोक लगाने संबंधी सरकार की याचिका को सात अप्रैल को ही खारिज कर दिया था।

पीठ ने कहा, ‘‘इसके बावजूद सरकार फाइलें दबाकर बैठी रही।’’

ठाणे जिले के बदलापुर के एक स्कूल में दो बच्चियों के यौन उत्पीड़न के आरोपी शिंदे की 23 सितंबर, 2024 को पुलिस के साथ कथित मुठभेड़ में गोली लगने से मौत हो गयी थी।

यह घटना उस वक्त हुई थी जब शिंदे को तलोजा जेल से कल्याण ले जाया जा रहा था। पुलिस ने दावा किया कि आरोपी ने उन पर गोलियां चलाईं और वह जवाबी कार्रवाई में मारा गया।

भाषा सिम्मी नरेश

नरेश


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