बीएमसी ने दादर के कबूतरखाने को तिरपाल से ढका; मंत्री लोढ़ा ने निगम प्रमुख से हस्तक्षेप की मांग की

बीएमसी ने दादर के कबूतरखाने को तिरपाल से ढका; मंत्री लोढ़ा ने निगम प्रमुख से हस्तक्षेप की मांग की

बीएमसी ने दादर के कबूतरखाने को तिरपाल से ढका; मंत्री लोढ़ा ने निगम प्रमुख से हस्तक्षेप की मांग की
Modified Date: August 3, 2025 / 07:56 pm IST
Published Date: August 3, 2025 7:56 pm IST

मुंबई, तीन अगस्त (भाषा) बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) के अधिकारियों ने रविवार को दादर में विरासत ढांचे कबूतरखाना को तिरपाल से ढक दिया और मौके पर लोगों की पहुंच प्रतिबंधित कर दी गई। यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि कबूतरों को दाना देने से स्वास्थ्य संबंधी खतरे पैदा हो रहे थे।

बीएमसी की इस कार्रवाई के बाद महाराष्ट्र के मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने निगम आयुक्त से हस्तक्षेप की मांग की।

बीएमसी प्रमुख भूषण गगरानी को लिखे पत्र में मुंबई उपनगरीय जिला प्रभारी मंत्री ने उनसे अनुरोध किया कि वे संतों और पशु प्रेमियों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए तथा अदालत के निर्देशों का सम्मान करते हुए सौहार्दपूर्ण समाधान निकालें।

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यह पत्र बीएमसी अधिकारियों द्वारा कबूतरखाने को तिरपाल से ढकने और लोगों को कबूतरों को दाना न देने की चेतावनी देने वाला बोर्ड लगाने के बाद आया है।

यह कार्रवाई ऐसे वक्त की गई है जब कुछ दिन पहले बंबई उच्च न्यायालय ने कहा था कि कबूतरों को दाना देना सार्वजनिक उपद्रव पैदा करने वाला कृत्य है और इससे लोगों के स्वास्थ्य को भी खतरा है। अदालत ने बीएमसी को इस तरह की गतिविधि में शामिल लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया था।

उच्च न्यायालय ने पिछले महीने बीएमसी को महानगर में पुरानी विरासत वाले किसी भी कबूतरखाने (कबूतरों को दाना डालने के स्थान) को ध्वस्त करने से रोक दिया था, साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया था कि इन स्थानों पर पक्षियों को दाना डालने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

अपने पत्र में लोढ़ा ने दावा किया कि दाना नहीं मिल पाने के कारण कबूतर सड़कों पर मृत पाए जाते हैं जिससे सार्वजनिक परिवहन प्रभावित हो रहा है।

लोढ़ा ने पत्र में कहा, ‘‘बीएमसी को कबूतरों को दाना डालने के लिए वैकल्पिक स्थान उपलब्ध कराने सहित व्यापक विचारों को अपनाना चाहिए। बीकेसी, संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान और आरे कॉलोनी में खुले स्थान हैं जहां वैकल्पिक स्थान बनाए जा सकते हैं। इसलिए, आयुक्त को इस पर विचार करना चाहिए और समाधान प्रदान करना चाहिए।’’

भाषा आशीष नेत्रपाल

नेत्रपाल


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