बृहन्मुंबई महानगरपालिका चुनाव: अंतिम समय में गठबंधन से कांग्रेस के शहरी कार्यकर्ता परेशान

बृहन्मुंबई महानगरपालिका चुनाव: अंतिम समय में गठबंधन से कांग्रेस के शहरी कार्यकर्ता परेशान

बृहन्मुंबई महानगरपालिका चुनाव: अंतिम समय में गठबंधन से कांग्रेस के शहरी कार्यकर्ता परेशान
Modified Date: December 29, 2025 / 05:10 pm IST
Published Date: December 29, 2025 5:10 pm IST

मुंबई, 29 दिसंबर (भाषा) बृहन्मुंबई महानगरपालिका चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि से महज चंद दिनों पहले कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़ने के अपने फैसले में बदलाव कर स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं को स्तब्ध कर दिया।

पहले कांग्रेस ने 15 जनवरी को होने वाले चुनाव में सभी 227 वार्डों पर अकेले चुनाव लड़ने का दावा किया था, लेकिन रविवार को पार्टी ने प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्व वाली वंचित बहुजन आघाडी (वीबीए) के साथ गठबंधन कर उसे 62 सीट दे दीं।

नेताओं के अनुसार, कांग्रेस ने वीबीए के अलावा राष्ट्रीय समाज पक्ष (आरएसपी) को 10 सीट और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (गवई गुट) को दो सीट दी हैं, जिससे पार्टी की मुंबई इकाई के पदाधिकारी असंतुष्ट हैं।

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वरिष्ठ नेताओं ने बताया कि मुंबई इकाई से संबंधित इतना महत्वपूर्ण निर्णय कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष द्वारा पहले कभी घोषित नहीं किया गया।

हालांकि, मुंबई इकाई की अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ ने कहा कि वह गठबंधन और सीट समझौते से खुश हैं।

वर्षों से महाराष्ट्र में कांग्रेस की राजनीति एक निश्चित ढांचे में सिमटी रही है और गठबंधन का हिस्सा होने के बावजूद पार्टी अक्सर छोटी भूमिका निभाती रही है, जिससे उसकी निर्णय लेने की शक्ति सीमित हो गई है।

कांग्रेस की प्रदेश इकाई के एक पदाधिकारी ने कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार (राकांपा-शप) प्रमुख शरद पवार और शिवसेना (उबाठा) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के प्रभाव के आगे दबकर पार्टी धीरे-धीरे अपनी स्वतंत्र राजनीतिक आवाज खो बैठी।

पार्टी कार्यकर्ताओं और राजनीतिक विश्लेषकों की भी यही राय थी।

सीट-समझौते से कांग्रेस की मुंबई इकाई के कार्यकर्ताओं को गहरा सदमा लगा है, क्योंकि खबरों के मुताबिक, पार्टी ने छह लोकसभा क्षेत्रों में से प्रत्येक में 10 से अधिक वार्ड घटक दलों को दे दिये हैं।

दिलचस्प बात यह है कि इनमें से कई वार्ड भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गढ़ माने जाते हैं, जिससे विश्लेषकों का मानना ​​है कि कांग्रेस ने बिना किसी कड़े मुकाबले के ही ये क्षेत्र घटक दलों को सौंप दिए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘प्रभादेवी-महीम क्षेत्र में वीबीए को वार्ड देना समझ से परे है। पहली बार निकाय चुनाव लड़ रही वीबीए को ऐसे क्षेत्रों में सीट दी गई हैं, जहां कोई दलित बस्ती नहीं है।’’

भाजपा के एक नेता ने विले पार्ले का जिक्र करते हुए कहा कि इस क्षेत्र में एकमात्र दलित बस्ती में भाजपा और आरपीआई कार्यकर्ता रहते हैं।

उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस के पास अधिकांश वार्डों में उम्मीदवार नहीं हैं और उसने अपनी इज्जत बचाने के लिए गठबंधन किया है।

भाषा जितेंद्र सुरेश

सुरेश


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