इंसानों पर तेंदुओं के हमलों को रोकने के लिए जंगलों में बकरियां छोड़ी जाएंगी: महाराष्ट्र के वन मंत्री
इंसानों पर तेंदुओं के हमलों को रोकने के लिए जंगलों में बकरियां छोड़ी जाएंगी: महाराष्ट्र के वन मंत्री
नागपुर, नौ दिसंबर (भाषा) महाराष्ट्र के वन मंत्री गणेश नाइक ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने वन अधिकारियों को जंगलों में बड़ी संख्या में बकरियां छोड़ने का निर्देश दिया है, ताकि तेंदुओं को शिकार की तलाश में मानव बस्तियों में आने से रोका जा सके।
नाइक महाराष्ट्र में तेंदुओं के हमलों में खतरनाक वृद्धि के संबंध में राज्य विधानसभा में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के विधायक जितेंद्र आव्हाड की ओर से पेश किए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे।
उन्होंने कहा, “अगर तेंदुए के हमले में चार लोग मारे जाते हैं, तो राज्य को (मुआवजे के रूप में) एक करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ता है। इसलिए मैंने अधिकारियों से कहा है कि मौतों को लेकर मुआवजा वितरित करने के बजाय एक करोड़ रुपये मूल्य की बकरियां जंगल में छोड़ दी जाएं, ताकि तेंदुए मानव बस्तियों में प्रवेश न करें।”
नाइक ने कहा, “हम जल्द ही इस निर्णय को उन क्षेत्रों में लागू करेंगे, जहां से तेंदुओं के हमलों की खबरें मिल रही हैं।”
मंत्री ने कहा कि तेंदुओं का व्यवहार और रहन-सहन के तरीके बदल गए हैं। उन्होंने कहा, “पहले तेंदुओं को जंगली जानवर माना जाता था, लेकिन अब गन्ने के खेत उनका निवास स्थान बन गए हैं।”
नाइक ने बताया कि अहिल्यानगर, पुणे और नासिक में तेंदुओं से जुड़ी घटनाएं सबसे ज्यादा दर्ज की गई हैं।
उन्होंने कहा कि वन अधिकारियों ने पाया है कि बड़ी संख्या में मादा तेंदुआ एक बार में चार शावकों को जन्म दे रही हैं, जिससे इन जानवरों की आबादी तेजी से बढ़ रही है।
तेंदुओं की संख्या नियंत्रित करने के लिए उनके बधियाकरण के प्रस्ताव के बारे में नाइक ने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य वन विभाग को प्रायोगिक आधार पर केवल पांच जानवरों का बधियाकरण करने और इसके परिणाम देखने के लिए तीन साल तक इंतजार करने का निर्देश दिया है।
उन्होंने कहा कि हालांकि, राज्य सरकार ने प्रायोगिक आधार पर बधियाकरण करने और छह महीने बाद ही केंद्र सरकार से संपर्क करने का फैसला लिया है, ताकि इसका दायरा बढ़ाया जा सके।
मंत्री ने बताया कि बाघों और तेंदुओं को वन क्षेत्रों से बाहर आने से रोकने के लिए ताड़ोबा अभयारण्य जैसे घने जंगलों के चारों ओर बांस के पौधे लगाए जाएंगे, जो बाड़ के रूप में काम करेंगे।
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, “हमारे जंगलों में कोई फलदार पेड़ नहीं बचा है, जिसके कारण तेंदुओं और अन्य मांसाहारी जानवरों के शिकार बाहर निकलने को मजबूर हैं। मैंने अधिकारियों को फलदार पेड़ लगाने का निर्देश दिया है, जिससे शिकार जंगल में ही रहेंगे।”
नाइक ने कहा कि तेंदुआ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची-1 में शामिल जानवर है, जिससे इंसानों पर इसके हमलों में कमी लाने के उपाय करने में सरकार के हाथ बंध जाते हैं।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने तेंदुए को अधिनियम की अनुसूची-2 में स्थानांतरित करने के लिए केंद्र के पास एक प्रस्ताव भेजा है।
कांग्रेस विधायक नाना पटोले ने कहा कि इस प्रस्ताव को स्वीकार किए जाने की संभावना नहीं है।
उन्होंने कहा, “पूर्व में लोकसभा सदस्य के रूप में, मैं वन्यजीवों के मुद्दों से जुड़ी एक समिति में काम कर चुका हूं। मैं आपको बता सकता हूं कि केंद्र सरकार तेंदुओं को अनुसूची-2 में स्थानांतरित करने के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं देगी।”
पुणे जिले के जुन्नार से निर्दलीय विधायक शरद सोनवणे ने कहा कि उनका निर्वाचन क्षेत्र तेंदुओं के आतंक का सबसे ज्यादा सामना कर रहा है, जहां इन जानवरों के हमलों में अब तक 55 लोगों की मौत हो चुकी है।
उन्होंने कहा, “मेरे निर्वाचन क्षेत्र में एक तेंदुआ बचाव केंद्र है, इसकी क्षमता बढ़ाई जानी चाहिए।”
नाइक ने जवाब में कहा कि सरकार ने जुन्नार स्थित तेंदुआ बचाव केंद्र की क्षमता बढ़ाने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि अहिल्यानगर जिले में भी एक नया बचाव केंद्र बनाने का प्रस्ताव है।
भाषा पारुल नरेश
नरेश

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