आईआईटी छात्र आत्महत्या मामला : अदालत ने कहा, केवल सुसाइड नोट में लिखे आरोप काफी नहीं

आईआईटी छात्र आत्महत्या मामला : अदालत ने कहा, केवल सुसाइड नोट में लिखे आरोप काफी नहीं

आईआईटी छात्र आत्महत्या मामला : अदालत ने कहा, केवल सुसाइड नोट में लिखे आरोप काफी नहीं
Modified Date: May 10, 2023 / 11:58 am IST
Published Date: May 10, 2023 11:58 am IST

मुंबई, 10 मई (भाषा) मुंबई की एक अदालत ने आईआईटी मुंबई के छात्र दर्शन सोलंकी की आत्महत्या के मामले में गिरफ्तार छात्र अरमान खत्री को जमानत देते हुए कहा है कि केवल सुसाइड नोट में लगे आरोप से यह निष्कर्ष निकालना उचित नहीं होगा कि आरोपी ने उकसाने का अपराध किया है।

अदालत ने शनिवार के अपने आदेश में कहा कि यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं है कि खत्री जातिगत भेदभाव के आधार पर सोलंकी को परेशान कर रहा था या उसे आत्महत्या के लिए उकसाया था।

खत्री को नौ अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ए.पी. कनाडे ने शनिवार को उसे जमानत दे दी थी।

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मामले का विस्तृत आदेश बुधवार को उपलब्ध हुआ।

अहमदाबाद के रहने वाले और बीटेक (केमिकल) पाठ्यक्रम के प्रथम वर्ष के छात्र सोलंकी की सेमेस्टर परीक्षा समाप्त होने के एक दिन बाद 12 फरवरी को उपनगर पवई स्थित आईआईटी परिसर में एक छात्रावास की इमारत की सातवीं मंजिल से कथित रूप से कूदने के बाद मौत हो गई थी।

तीन हफ्ते बाद, मुंबई पुलिस के एक विशेष जांच दल (एसआईटी) को सोलंकी के कमरे से एक लाइन का नोट मिला, जिसमें लिखा था, ‘‘अरमान ने मुझे मारा है।’’

पुलिस के अनुसार, यह पता चला है कि आरोपी खत्री ने अपने मुस्लिम धर्म के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करने के चलते सोलंकी को एक ‘पेपर कटर’ दिखाकर जान से मारने की धमकी दी थी।

हालांकि, खत्री ने अपनी जमानत याचिका में दावा किया कि उसका कथित अपराध से कोई संबंध नहीं है और उसे घटना के लगभग दो महीने बाद संदेह के आधार पर गिरफ्तार किया गया।

अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद कागजात देखने से पता चलता है कि जांच अधिकारी ने गवाहों के बयान दर्ज किए और आरोपी की निशानदेही पर एक ‘पेपर कटर’ जब्त किया।

अदालत ने कहा कि उन बयानों से पता चलता है कि मृतक ने आरोपी से बार-बार माफी मांगी थी (आरोपी के धर्म पर अपनी टिप्पणी के लिए)।

अदालत ने कहा, ‘‘जहां तक जातिगत भेदभाव के आधार पर मृतक के उत्पीड़न का मामला है, रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह दर्शाता हो कि आवेदक/आरोपी जातिगत भेदभाव के आधार पर मृतक को परेशान कर रहा था।’’

इसने कहा, ‘‘आवेदक द्वारा मृतक को ‘पेपर कटर’ दिखाने की एक घटना को छोड़कर, रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह दर्शाता हो कि आरोपी ने मृतक दर्शन को आत्महत्या के लिए उकसाया।’’

भाषा

शफीक वैभव

वैभव


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