भारत विविधता का जश्न मनाने वाला देश है, हम किसी को अलग नहीं रखते: आरएसएस नेता |

भारत विविधता का जश्न मनाने वाला देश है, हम किसी को अलग नहीं रखते: आरएसएस नेता

भारत विविधता का जश्न मनाने वाला देश है, हम किसी को अलग नहीं रखते: आरएसएस नेता

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Modified Date: April 24, 2025 / 05:43 PM IST
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Published Date: April 24, 2025 5:43 pm IST

मुंबई, 24 अप्रैल (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संयुक्त महासचिव मनमोहन वैद्य ने कहा कि भारत विविधता का जश्न मनाने वाला देश है और राष्ट्रीय ध्वज पर बना चक्र वास्तव में ‘धर्म चक्र’ है, जो समाज के सभी पहलुओं को जोड़ने वाले मूलभूत सिद्धांत को दर्शाता है।

वैद्य ने बुधवार को यहां एक कार्यक्रम में कहा, ‘हमारे पास अलग-अलग संस्कृतियां नहीं, बल्कि एक संस्कृति है। इसका उत्सव विविधतापूर्ण है।’

उन्होंने यह भी कहा कि ‘धर्म’ और ‘पंथ’ (रिलीजन) का मतलब एक जैसा नहीं है।

संघ के नेता ने कहा, ‘‘तिरंगे पर बना चक्र वास्तव में ‘धर्म चक्र’ है। तिरंगा, उच्चतम न्यायालय, लोकसभा और राज्यसभा, सभी धर्म शब्द का इस्तेमाल करते हैं। इसके पीछे कोई कारण होना चाहिए। धर्म और पंथ एक नहीं है।’’

वैद्य ने कहा, ‘‘समाज में कई व्यवस्थाएं इसके नियमों के अनुसार काम करती हैं, यही वजह है कि समाज ‘धर्माधिष्ठित’ (धर्म पर आधारित) समाज है।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि यह ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द कहां से आया है।’’

उन्होंने कहा कि किसी भी भारतीय भाषा में बहिष्कार के लिए कोई शब्द नहीं है, क्योंकि ‘हम किसी को बहिष्कृत नहीं करते हैं।’

वैद्य ने कहा, ‘‘भारत को विविध संस्कृतियों का देश बताया जाता है। यह गलत है। भारत एक ऐसा देश है जो विविधता का जश्न मनाता है। हमारे पास अलग-अलग संस्कृतियां नहीं हैं, बल्कि एक संस्कृति है। इसका जश्न विविधतापूर्ण है।’

उन्होंने कहा, ‘‘हर आत्मा संभावित रूप से दिव्य है, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों पर समान रूप से लागू होती है। केवल भारत ही इस पर विश्वास करता है। कोई अन्य देश ऐसा नहीं करता। अमेरिका जैसे देशों में, पहले जब पुरुषों को मतदान का अधिकार था, तब महिलाओं को यह अधिकार नहीं था। उन्हें (महिलाओं को इसे पाने के लिए) बहुत संघर्ष करना पड़ा।’’

उन्होंने कहा कि जो समाज राज्य पर कम से कम निर्भर है, वह ‘स्वदेशी’ समाज है।

स्वतंत्रता सेनानी विनोबा भावे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘जब हम गुलाम थे, तब स्वराज्य महत्वपूर्ण था। अब हमने स्वराज्य प्राप्त कर लिया है; हमें लोगों को उनकी ताकत से अवगत कराने की जरूरत है।’’

वैद्य ने कहा, ‘जब समाज राज्य पर अधिक निर्भर हो जाता है तो वह कमजोर हो जाता है।’

भाषा सुरेश अविनाश

अविनाश

 

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