जरांगे ने मराठा आरक्षण मुद्दे पर अपना अनशन स्थगित किया

जरांगे ने मराठा आरक्षण मुद्दे पर अपना अनशन स्थगित किया

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  • Publish Date - July 24, 2024 / 09:55 PM IST,
    Updated On - July 24, 2024 / 09:55 PM IST

जालना/मुंबई, 24 जुलाई (भाषा) मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने बुधवार को आरक्षण के मुद्दे पर अपना अनिश्चितकालीन अनशन स्थगित कर दिया। वह पिछले पांच दिनों से अनशन कर रहे थे।

जरांगे ने कहा कि उनके समुदाय के सदस्यों का कहना है कि इस मुद्दे पर लड़ाई लड़ने के लिए वह चाहते हैं कि जरांगे जीवित रहें।

उन्होंने महाराष्ट्र के जालना जिले में अपने पैतृक गांव अंतरवाली सराटी में पत्रकारों से बात करते हुए अपने फैसले की घोषणा की।

जरांगे ने कुनबियों को मराठा समुदाय के सदस्यों के ‘सगे सोयरे’ (रक्त संबंधी) के तौर पर मान्यता देने वाली मसौदा अधिसूचना को लागू करने और मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत आरक्षण देने जैसी मांगों को लेकर 20 जुलाई से अपना अनशन शुरू किया था।

सुबह पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मेरे समुदाय का कहना है कि वे मुझे जीवित देखना चाहते हैं। समुदाय की ओर से जबरदस्त दबाव है। अगर मैं मर गया तो इससे समुदाय में विभाजन हो जाएगा। इसलिए मैंने अपना अनशन स्थगित करने का फैसला किया है।’’

जरांगे ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधान परिषद सदस्य प्रवीण दरेकर और महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि वे मराठा समुदाय के लिए आरक्षण के विरोधी हैं।

उन्होंने भाजपा को हराने की मराठा समुदाय से अपील की।

जरांगे ने उपमुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस पर उन्हें झूठे मामले में फंसाने की कोशिश करने का आरोप लगाया।

मुंबई में, महाराष्ट्र के आबकारी मंत्री और मराठा आरक्षण पर कैबिनेट उप-समिति के सदस्य शंभूराज देसाई ने कहा कि उन्होंने राज्य सरकार द्वारा पूर्व में जरांगे को दिए गए आश्वासनों की समीक्षा बैठक की।

उन्होंने कहा कि ‘सगे सोयरे’ पर मसौदा अधिसूचना में उठाई गई 60 प्रतिशत आपत्तियों की समीक्षा कर ली गई है तथा शेष आपत्तियों के शीघ्र निवारण के निर्देश दिए गए हैं।

मराठी शब्द ‘सगे सोयारे’’ का अर्थ खून का रिश्ता और विवाह के माध्यम से बने संबंध है। यदि इस मुद्दे पर जरांगे की मांग स्वीकार कर ली जाती है, तो मराठा समुदाय के सदस्यों की एक बड़ी संख्या को कुनबी के रूप में आरक्षण मिलेगा, जो राज्य में ओबीसी के अंतर्गत आते हैं।

मराठा आरक्षण समर्थक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस द्वारा दर्ज मामलों को वापस लिए जाने के सवाल पर देसाई ने कहा कि इस पर कानून और न्याय विभाग की सलाह ली जा रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिन अपराधों में गंभीर चोटें आई थीं या जहां संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचा था, उन मामलों को वापस लेने की कोई सिफारिश नहीं की गई है।

देसाई ने कहा, ‘‘सरकार ने जरांगे को जो भी आश्वासन दिया है, उससे पीछे नहीं हटेगी।’’ उन्होंने कहा कि ऐसा करते समय ओबीसी के मौजूदा आरक्षण के साथ छेड़छाड़ नहीं किया जाएगा।

भाषा धीरज सुभाष

सुभाष