लातूर (महाराष्ट्र), नौ दिसंबर (भाषा) अखिल महाराष्ट्र इतिहास परिषद के 30वें इतिहास सम्मेलन में शुक्रवार को वक्ताओं ने कहा कि इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश नहीं किया जाना चाहिए और नाहीं महान हस्तियों का अपमान नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इससे समाज में दरार पैदा होगी।
उन्होंने कहा कि इतिहास और इसका अध्ययन देश के भविष्य के विकास में योगदान देता है, इसलिए विशेषज्ञों को घटनाओं के गुणात्मक और मात्रात्मक पक्षों को देखकर इसे लिखना चाहिए।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अहमदपुर के विधायक बाबासाहेब पाटिल ने कहा, ‘‘यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इतिहास को तोड-मरोड़ कर पेश नहीं किया जाना चाहिए और महान व्यक्तियों का अपमान न हो। इतिहासकारों को इतिहास को विकृत करने और समाज में दरार पैदा करने वाले नेताओं पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।’’
अखिल महाराष्ट्र राज्य विश्वकोष निर्मिति मंडल, मुंबई के अध्यक्ष डॉ. राजा दीक्षित ने कहा कि इतिहास को विकृत करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है और यह ‘‘खतरनाक प्रवृत्ति’’ है। दीक्षित ने कहा, ‘‘इतिहास की गलत व्याख्या विवादों को जन्म देती है। इसलिए, इतिहासकारों को मात्रात्मक और गुणात्मक पक्ष का अध्ययन करके इतिहास लिखना चाहिए क्योंकि इतिहास देश के भविष्य के विकास में योगदान देता है।’’
भाषा सुरभि अर्पणा
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