महाराष्ट्र विशेष सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक समिति को 12,000 सुझाव और आपत्तियां प्राप्त हुईं: पाटिल

महाराष्ट्र विशेष सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक समिति को 12,000 सुझाव और आपत्तियां प्राप्त हुईं: पाटिल

महाराष्ट्र विशेष सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक समिति को 12,000 सुझाव और आपत्तियां प्राप्त हुईं: पाटिल
Modified Date: May 25, 2025 / 12:23 pm IST
Published Date: May 25, 2025 12:23 pm IST

मुंबई, 25 मई (भाषा) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र विशेष सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक पर विचार कर रही संयुक्त प्रवर समिति के सदस्य जयंत पाटिल ने कहा कि समिति को अब तक इस विधेयक से संबंधित रिकॉर्ड 12,000 सुझाव और आपत्तियां प्राप्त हुई हैं।

यह विधेयक विशेष रूप से नक्सलवाद समेत व्यक्तियों और संगठनों की अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने के उद्देश्य से लाया गया है।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस विधेयक को पिछले वर्ष नागपुर में हुई राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पुनः प्रस्तुत किया था जिसके बाद इसे राज्य के राजस्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता चंद्रशेखर बावनकुले की अध्यक्षता वाली संयुक्त प्रवर समिति को भेजा गया था।

 ⁠

पाटिल ने कहा कि विपक्ष का रुख यह है कि ऐसे किसी विधेयक की आवश्यकता नहीं है।

पाटिल ने कहा, ‘‘इस समिति को अब तक 12,000 से अधिक सुझाव और आपत्तियां प्राप्त हुई हैं, जो कि एक रिकॉर्ड है। हमारा मानना है कि सरकार को हर चीज को एक नजर से नहीं देखना चाहिए, बल्कि उसे विधेयक की शर्तों और उद्देश्यों के बारे में स्पष्ट होना चाहिए। नक्सल और नक्सली गतिविधियों की परिभाषा साफ होनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि इस विधेयक से उन व्यक्तियों और संगठनों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए जो किसी मुद्दे पर अपनी राय रखने के लिए मोर्चा निकालना या प्रदर्शन करना चाहते हैं।

पाटिल ने कहा कि पारदर्शिता लाने के लिए समिति का नेतृत्व उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश को करना चाहिए और इसके दो अन्य सदस्य सेवानिवृत्त न्यायाधीश होने चाहिए।

उन्होंने बताया, ‘‘संयुक्त प्रवर समिति की अब तक दो बैठकें हो चुकी हैं। सरकार यह बताएगी कि विभिन्न पक्षों से प्राप्त सुझावों और समिति के सदस्यों की सिफारिशों को लागू किया जा सकता है या नहीं। अगली बैठक पांच जून को प्रस्तावित है।’’

पिछले साल दिसंबर में जब यह विधेयक पुनः प्रस्तुत किया गया था, तब मुख्यमंत्री फडणवीस ने स्पष्ट किया था कि इसका उद्देश्य अपनी बात रखने वाले लोगों की आवाज को दबाना नहीं है, बल्कि शहरी नक्सल ठिकानों को खत्म करना है।

विधेयक के अनुसार, हिंसा, तोड़फोड़ या ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल होना या उसका प्रचार करना जिससे जनमानस में भय और आशंका उत्पन्न हो, अवैध गतिविधि मानी जाएगी।

इसके अलावा, हथियार, विस्फोटक या अन्य उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा देना या स्थापित कानून व संस्थाओं की अवज्ञा के लिए प्रेरित करना, उसका प्रचार करना भी अवैध गतिविधि के अंतर्गत आएगा।

विधेयक के मुताबिक, कोई भी ऐसा संगठन जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इन अवैध गतिविधियों में लिप्त हो, मदद करे या सहयोग दे, उसे अवैध संगठन माना जाएगा। ऐसे संगठन से संबंध रखने पर तीन से सात वर्ष की सजा और तीन से पांच लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

फडणवीस ने कहा था कि छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे उग्रवाद प्रभावित राज्यों में ऐसे सार्वजनिक सुरक्षा कानून लागू हैं और इन राज्यों ने 48 अग्रिम संगठनों पर प्रतिबंध लगाया है।

महाराष्ट्र विशेष सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक को आगामी 30 जून से शुरू हो रहे राज्य विधानसभा के मानसून सत्र में पारित किए जाने की संभावना है।

महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा, शिवसेना और राकांपा (अजित पवार) की महायुति गठबंधन को स्पष्ट बहुमत प्राप्त है।

भाषा राखी जोहेब

जोहेब


लेखक के बारे में