मुंबई, 29 सितंबर (भाषा) महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में हुए एक विस्फोट के चौदह साल बाद इस मामले में सुनवाई अभी भी यहां राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की एक विशेष अदालत के समक्ष चल रही है तथा अभी और गवाहों से पूछताछ की जानी बाकी है जबकि 26 गवाह मुकर गये हैं।
मालेगांव में हुए इस विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हो गये थे।
इस मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सात लोग मुकदमे का सामना कर रहे हैं और उन पर कड़े गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोप लगाए गए हैं।
इस मामले की जांच एनआईए कर रही है। सभी आरोपी फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।
एनआईए के अनुसार, इस मामले में लगभग 450 गवाहों से पूछताछ की जानी थी, विशेष अदालत में 272 गवाहों से पूछताछ की गई है और 26 गवाह मुकर गये।
उपलब्ध जानकारी के अनुसार, अभी 100 से अधिक गवाहों से पूछताछ की जानी है।
उच्चतम न्यायालय ने 2015 में सुनवाई तेजी से पूरी करने का निर्देश दिया था।
बाद में, मामले के एक आरोपी समीर कुलकर्णी ने बम्बई उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर दावा किया था कि शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद, सुनवाई तेजी से नहीं हो रही है।
उच्च न्यायालय ने इस साल की शुरुआत में मुकदमे की स्थिति पर विशेष अदालत से रिपोर्ट मांगी थी।
गौरतलब है कि 29 सितंबर, 2008 को महाराष्ट्र के नासिक जिले में सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील शहर मालेगांव में एक मस्जिद के निकट हुए विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हो गये थे।
महाराष्ट्र पुलिस ने शुरुआत में मामले की जांच की थी और बाद में मामले को एनआईए को सौंप दिया गया था।
ठाकुर और पुरोहित के अलावा, मामले में मुकदमे का सामना कर रहे अन्य लोगों में रमेश उपाध्याय, अजय रहीरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी शामिल हैं।
भाषा
देवेंद्र मनीषा
मनीषा
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