मालेगांव विस्फोट फैसला : अदालत ने बचाव पक्ष के सिमी संबंधी दावे को खारिज किया

मालेगांव विस्फोट फैसला : अदालत ने बचाव पक्ष के सिमी संबंधी दावे को खारिज किया

मालेगांव विस्फोट फैसला : अदालत ने बचाव पक्ष के सिमी संबंधी दावे को खारिज किया
Modified Date: August 1, 2025 / 10:36 pm IST
Published Date: August 1, 2025 10:36 pm IST

मुंबई, एक अगस्त (भाषा) मुंबई की एक विशेष अदालत ने सितंबर 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में सात लोगों को बरी करते हुए बचाव पक्ष के इस दावे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि घटना के पीछे प्रतिबंधित संगठन ‘स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया’ (सिमी) का हाथ हो सकता है। हालांकि, साथ ही कहा कि जांच एजेंसी को हर पहलू पर गौर करना चाहिए था।

विशेष एनआईए अदालत के न्यायाधीश ए.के. लाहोटी ने अपने 1036 पृष्ठों के फैसले में, जो शुक्रवार को उपलब्ध हुआ, कहा कि विस्फोट मामले की शुरुआत में जांच करने वाला महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) अपराध में सिमी की संलिप्तता के पहलू की जांच करने में विफल रहा।

आरोपियों ने दावा किया था कि विस्फोट सिमी कार्यालय वाली एक इमारत के बाहर हुआ था और एटीएस को इसकी जानकारी थी।

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अदालत ने अपने फैसले में कहा कि एटीएस अधिकारी मोहन कुलकर्णी, जो उस समय मुख्य जांच अधिकारी थे, ने अपनी जिरह के दौरान स्वीकार किया था कि विस्फोट स्थल के आसपास प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन सिमी का एक कार्यालय था।

अदालत ने कहा कि कुलकर्णी को इसकी जानकारी थी, लेकिन फिर भी उन्होंने इस बात की जांच नहीं की कि उस समय सिमी का कार्यालय संचालित हो रहा था या नहीं और क्या उसका कोई सदस्य उस समय उसी इलाके में मौजूद था।

अदालत ने कहा, ‘‘बेशक, उन्होंने (कुलकर्णी) इस दृष्टिकोण से जांच नहीं की जिससे इस संभावना को खारिज किया जा सके कि सिमी की कोई संलिप्तता नहीं थी।’’

अदालत ने कहा कि एक गवाह के अनुसार, विस्फोट से ठीक पहले एक लड़की मोटरसाइकिल के पास खड़ी देखी गई थी।

अदालत ने कहा कि मामले की जांच किस दिशा में की जाए, यह पूरी तरह जांच अधिकारी का विशेषाधिकार है। हालांकि, उसने यह भी कहा कि जब जांच एजेंसी को कुछ तथ्य पता चलते हैं, तो उन पहलुओं पर भी विचार और पड़ताल की जानी चाहिए।

आरोपियों के वकीलों ने अपनी दलीलों के दौरान दावा किया था कि सिमी कार्यकर्ता विस्फोट के षड्यंत्रकारी हो सकते हैं।

हालांकि, अदालत ने इसे स्वीकार करने और किसी भी जांच या सबूत के अभाव में कोई निष्कर्ष निकालने से इनकार कर दिया, जिससे यह पता चले कि सिमी कार्यकर्ता अपराध में शामिल थे और उन्होंने विस्फोट को अंजाम दिया था।

उत्तरी महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में 29 सितंबर 2008 को हुए विस्फोट में छह लोगों की मौत के लगभग 17 साल बाद मुंबई की विशेष एनआईए अदालत ने बृहस्पतिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सभी सात आरोपियों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि उनके खिलाफ ‘‘कोई विश्वसनीय और ठोस सबूत नहीं’’ है।

शुरुआत में इस मामले की जांच राज्य के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने की थी। बाद में इसे राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को सौंप दिया गया।

भाषा शफीक अमित

अमित


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