Vande Bharat: ‘भाषा’ की लड़ाई..हिंदू मुसलमान पर आई! मराठी नहीं बोलने पर MNS ने युवक को पीटा, देखें वीडियो
Marathi Politics: 'भाषा' की लड़ाई..हिंदू मुसलमान पर आई! मराठी नहीं बोलने पर MNS ने युवक को पीटा, देखें वीडियो
Marathi Politics | Photo Credit: IBC24
- मराठी भाषा को अनिवार्य करने की मांग
- MNS कार्यकर्ताओं ने एक हिंदी भाषी दुकानदार की पिटाई की
- महाराष्ट्र सरकार में ही भाषा विवाद पर मतभेद
महाराष्ट्र: Marathi Politics महाराष्ट्र की सियासत में कल यानी शनिवार का दिन बेहद अहम होने जा रहा है। सालों बाद ठाकरे परिवार के दो दिग्गज एक मंच पर नजर आएंगे। शिवसेना UBT के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और MNC के प्रमुख राज ठाकरे मराठी भाषा के मुद्दे पर हाथ मिला चुके है। फडणवीस सरकार के हिंदी को स्कूलों में जरुरी किए जाने के खिलाफ दोनों चचेरे भाई विरोध का झंडा बुलंद करने वाले है, लेकिन उससे पहले MNS कार्यकर्ताओं के एक वायरल वीडियो ने मराठी Vs गैर मराठी की सियासत को और सुलगा दिया है
Marathi Politics महाराष्ट्र के ठाणे में एक उत्तर भारतीय दुकानदार की MNS कार्यकर्ताओं ने महज इस बात के लिए पिटाई कर दी गई कि उसे मराठी नहीं आती थी और वो हिंदी में अपनी बात रख रहा था। मराठी बुलवाने की जिद को लेकर मनसे की गुंडागर्दी का वीडियो क्या वायरल हुआ। भाषा विवाद में नए एंगल की एंट्री हो गई। फडणवीस सरकार में मंत्री नितेश राणे ने इसे हिंदू-मुस्लिम मुद्दे से जोड़ते हुए MNS चुनौती दी कि अगर हिम्मत है को गरीब हिंदी भाषियों को छोड़कर टोपी वालों से मराठी बुलवाकर दिखाओ।
दूसरी तरफ महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार में शिंदे गुट के शिवसेना नेता और गृह राज्य मंत्री योगेश कदम मारपीट करने वालों के ही बचाव में खड़े हो गए। हिंदी बनाम मराठी की इस लड़ाई में महाराष्ट्र सरकार में भी मतभेद साफ दिख रहे हैं, तो दूसरी तरफ शिवसेना UBT नेता आदित्य ठाकरे ने काउंटर अटैक किया कि एक तरफ तो बीजेपी हिंदी और राष्ट्रवाद की बात करती है लेकिन दूसरी तरफ दुश्मन देश पाकिस्तान की हॉकी टीम को खेलने देने के लिए NOC दे रही है।
महाराष्ट्र में हिंदी बनाम मराठी की लड़ाई नई नहीं है। बल्कि ये क्षेत्रीय दलों के वजूद की लड़ाई है। शिवसेना जब अस्तित्व में आई तब बाल ठाकरे ने मराठी बनाम गैर मराठी की दरार चौड़ी कर शिवसेना की जमीन मजबूत की। अब सालों बाद उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने भाषा विवाद के मुद्दे पर हाथ मिलाकर एक बार फिर मराठी बनाम गैर मराठी के मुद्दे को फिर से हवा देने की कोशिश की जा रही है।

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