मुंबई, 25 सितंबर (भाषा) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) का कौन सा गुट पार्टी का प्रतिनिधित्व करता है, इस बात का फैसला निर्वाचन आयोग केवल इस आधार पर कर सकता है कि किसके पास ज्यादा निर्वाचित प्रतिनिधियों का समर्थन है, क्योंकि राकांपा में 30 जून से पहले हुई प्रमुख नियुक्तियां पार्टी के संविधान के अनुसार नहीं हैं। अजित पवार गुट के एक वरिष्ठ नेता ने सोमवार को यह जानकारी दी।
अजित पवार और आठ विधायकों के एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल होने के बाद दो जुलाई को राकांपा दो गुटों में विभाजित हो गई थी। तभी से अजित पवार गुट और राकांपा के संस्थापक शरद पवार के नेतृत्व वाला गुट पार्टी के प्रतिनिधित्व को लेकर दावा कर रहा है।
अजित पवार गुट के नेता और राकांपा के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने संवाददाताओं से कहा, ”महाराष्ट्र में हमारे पास 43 विधायक हैं और साथ ही नौ विधान परिषद सदस्यों में से छह हमें समर्थन दे रहे हैं।”
उन्होंने दावा किया, ”हम बहुमत के सिद्धांत में विश्वास रखते हैं और इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि पार्टी केवल अपने संविधान के मापदंडों के भीतर ही कार्य कर सकती है। हमने पार्टी के संविधान के अनुसार कभी भी आंतरिक चुनाव नहीं कराए, इसलिए 30 जून से पहले की सभी नियुक्तियां असंवैधानिक हैं।”
पटेल ने कहा, ”इसलिए निर्वाचन आयोग के पास फैसला (पार्टी, नाम, चिह्न किसके पास रहेगा) करने का एकमात्र आधार निर्वाचित प्रतिनिधियों की संख्या ही है।” प्रफुल्ल पटेल के साथ लोकसभा सांसद सुनील तटकरे भी मौजूद थे, जिन्हें अजीत पवार गुट द्वारा राज्य इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
भाषा जितेंद्र पारुल
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