केवल कांग्रेस की विचारधारा ही भारत को धार्मिक एवं जातिगत विभाजन से बचा सकती है: सपकाल

केवल कांग्रेस की विचारधारा ही भारत को धार्मिक एवं जातिगत विभाजन से बचा सकती है: सपकाल

केवल कांग्रेस की विचारधारा ही भारत को धार्मिक एवं जातिगत विभाजन से बचा सकती है: सपकाल
Modified Date: December 28, 2025 / 03:07 pm IST
Published Date: December 28, 2025 3:07 pm IST

मुंबई, 28 दिसंबर (भाषा) महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष हर्षवर्द्धन सपकाल ने रविवार को कहा कि देश को संविधान में निहित पार्टी की विचारधारा की जरूरत है क्योंकि समाज को जाति, धर्म, भाषा और संप्रदाय के आधार पर बांटा जा रहा है।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 140वें स्थापना दिवस के अवसर पर यहां तिलक भवन में आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुये सपकाल ने सत्तारूढ़ भाजपा पर सामाजिक सद्भाव को कमजोर करने और इसे बांटने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, ‘देश आज गंभीर संकट का सामना कर रहा है। एकमात्र विचारधारा जो देश को बचा सकती है, वह कांग्रेस की विचारधारा है।’

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सपकाल ने कहा कि 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी तो मिल गई, लेकिन व्यवस्थागत बदलाव के लिए संघर्ष जारी है।

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का मानना ​​है कि राजनीतिक और धार्मिक सत्ता कुछ लोगों के हाथों में रहनी चाहिए, लेकिन कांग्रेस का मानना ​​है कि देश सभी का है और सभी नागरिकों का सत्ता और संपत्ति पर समान अधिकार है।

उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस की विचारधारा संविधान में निहित है। यह आध्यात्मिक है और दुनिया के कल्याण पर केंद्रित है। भाजपा की विचारधारा लैंगिक समानता को कायम नहीं रखती है और भेदभाव को बढ़ावा देती है। कांग्रेस ऐसी सोच के खिलाफ मजबूती से खड़ी है।’

उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से पार्टी की बलिदान और संघर्ष की परंपरा पर गर्व करने का आग्रह किया।

सपकाल ने दावा किया कि सत्तारूढ़ पार्टी की धन शक्ति, प्रशासनिक समर्थन और दबाव की रणनीति के बावजूद कांग्रेस ने हाल ही में हुए नगर परिषद और नगर पंचायत चुनावों में उत्साहजनक परिणाम हासिल किए हैं।

उन्होंने कहा, ‘हमारे कार्यकर्ता झुके नहीं। इस भावना को बनाए रखें। हम लड़ेंगे और जीतेंगे।’

सपकाल ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की रक्षा करने की शपथ दिलाते हुए कहा कि यह केवल एक सरकारी योजना नहीं है बल्कि रोजगार के अधिकार की एक ठोस अभिव्यक्ति है।

संकल्प में कहा गया है, ‘हम किसी भी कीमत पर मनरेगा की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ग्रामीण श्रमिकों के लिए सम्मान, रोजगार, न्याय और समय पर मजदूरी सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक रूप से संघर्ष करेंगे। हम योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाने या श्रमिकों के अधिकारों को कम करने के किसी भी प्रयास का सभी लोकतांत्रिक तरीकों से विरोध करेंगे।’

भाषा तान्या रंजन

रंजन


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