पालघर की अदालत ने वन अधिकारियों पर हमले के मामले में तीन व्यक्तियों को बरी किया

पालघर की अदालत ने वन अधिकारियों पर हमले के मामले में तीन व्यक्तियों को बरी किया

पालघर की अदालत ने वन अधिकारियों पर हमले के मामले में तीन व्यक्तियों को बरी किया
Modified Date: October 28, 2025 / 02:15 pm IST
Published Date: October 28, 2025 2:15 pm IST

पालघर, 28 अक्टूबर (भाषा) महाराष्ट्र के पालघर जिले की एक अदालत ने अतिक्रमण हटाते समय वन अधिकारियों पर हमला करने के आरोपी तीन व्यक्तियों को सबूतों में गंभीर विसंगतियों का हवाला देते हुए बरी कर दिया।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ए.आर. रहाणे ने रवीना रवींद्र दलवी, रवींद्र लक्ष्मण दलवी और कल्पेश दुंदाजी मोर को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत लोक सेवक पर हमला करने और जानबूझकर चोट पहुंचाने समेत विभिन्न आरोपों से बरी कर दिया।

सोलह अक्टूबर के आदेश की एक प्रति सोमवार को उपलब्ध कराई गई।

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सात जुलाई, 2020 को दर्ज प्राथमिकी के अनुसार तीनों ने एक भूखंड पर कथित अतिक्रमण हटाने का प्रयास कर रहे वन अधिकारियों पर कुल्हाड़ी से हमला किया।

अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष के पास यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि जमीन कानूनी रूप से वन भूमि के रूप में वर्गीकृत थी।

अदालत ने वन अधिकार अधिनियम, 2006 की धारा 4(5) का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि ‘वनों में रहने वाले अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य या अन्य पारंपरिक वनवासी को उसके कब्जे वाली वन भूमि से तब तक हटाया नहीं जा सकता जब तक कि मान्यता और सत्यापन प्रक्रिया पूरी न हो जाए।”

अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि कथित अतिक्रमण हटाने से पहले अभियुक्तों को कोई पूर्व सूचना या सुनवाई का अवसर दिया गया था। कुल मिलाकर परिस्थितियां दर्शाती हैं कि कार्रवाई वैध तरीके से नहीं की गई।’

अदालत ने कहा कि आईपीसी की धारा 353 (किसी लोक सेवक पर हमला) को ‘बेईमान व्यक्तियों के गलत कामों को छिपाने का हथियार नहीं बनने दिया जा सकता।”

भाषा जोहेब वैभव

वैभव


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