पुणे कार हादसा: जमानत को लेकर हंगामे के बाद आरोपी किशोर को निगरानी केंद्र भेजा गया |

पुणे कार हादसा: जमानत को लेकर हंगामे के बाद आरोपी किशोर को निगरानी केंद्र भेजा गया

पुणे कार हादसा: जमानत को लेकर हंगामे के बाद आरोपी किशोर को निगरानी केंद्र भेजा गया

:   Modified Date:  May 23, 2024 / 12:38 AM IST, Published Date : May 23, 2024/12:38 am IST

पुणे, 22 मई (भाषा) पुणे के कल्याणी नगर में तेज रफ्तार कार से दो सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को कुचलकर मार डालने के आरोपी 17 वर्षीय किशोर को तुरंत जमानत दिए जाने को लेकर हुए हंगामे के बाद किशोर न्याय बोर्ड ने बुधवार को उसे पांच जून तक के लिए निगरानी केंद्र में भेज दिया।

वहीं, सत्र अदालत ने पेशे से रियल एस्टेट डेवलपर उसके पिता को पुलिस हिरासत में भेज दिया।

पुलिस ने कहा कि बोर्ड ने नाबालिग को तीन दिन पहले दी गई जमानत बुधवार शाम को रद्द कर दी जबकि उसके वकील ने दावा किया कि जमानत रद्द नहीं हुई है।

किशोर के साथ वयस्क आरोपी के रूप में व्यवहार करने की अनुमति मांगने संबंधी पुलिस की अर्जी पर अभी कोई आदेश नहीं आया है।

बोर्ड ने रविवार को दुर्घटना के कुछ घंटे बाद उसे जमानत दे दी थी और सड़क दुर्घटनाओं पर 300 शब्दों का निबंध लिखने को कहा था, जिसके बाद लोगों ने इस फैसले की आलोचना की थी।

इसके बाद पुलिस ने फिर से बोर्ड का रुख कर आदेश की समीक्षा की मांग की।

पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने कहा, “बोर्ड के आदेश के अनुसार नाबालिग को पांच जून तक के लिए निगरानी केंद्र भेज दिया गया है। उसके साथ वयस्क (आरोपी) के रूप में व्यवहार करने की अनुमति देने की हमारी याचिका पर अभी आदेश नहीं आया है।”

बोर्ड के समक्ष सुनवाई में किशोर का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील प्रशांत पाटिल ने कहा कि रविवार को दी गई जमानत रद्द नहीं की गई है।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “यह पहले के आदेश का एक संशोधन है…जमानत रद्द करने का मतलब है पहले के आदेश को रद्द करना और व्यक्ति को हिरासत में लेना। यह आदेश हिरासत से नहीं निगरानी केंद्र भेजे जाने से जुड़ा है।”

पुलिस ने तीन सदस्यीय बोर्ड से कहा कि किशोर को निगरानी केंद्र में रखना चाहिए क्योंकि अगर वह बाहर रहेगा तो उसकी जान को खतरा हो सकता है।

पाटिल ने कहा कि बचाव पक्ष ने पुलिस की याचिका का विरोध किया।

अधिवक्ता पाटिल के अनुसार, किसी किशोर को वयस्क आरोपी माना जाए या नहीं यह तय करने की प्रक्रिया में कम से कम दो महीने लग सकते हैं क्योंकि मनोचिकित्सकों और परामर्शदाताओं समेत अन्य लोगों से रिपोर्ट मांगी जाती है, जिसके बाद बोर्ड अपना निर्णय देता है।

पुलिस ने नाबालिग के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 304 (गैर इरादतन हत्या), 304 (ए) (लापरवाही से मौत), 279 (लापरवाही से वाहन चलाने), 337 (मानव जीवन को खतरे में डालने वाले कार्य से चोट पहुंचाना), 338 (जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कार्य से गंभीर चोट पहुंचाना) और मोटर वाहन अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है।

पुलिस के अनुसार दुर्घटना के समय नाबालिग नशे में था।

इससे पहले सत्र अदालत ने नाबालिग के पिता विशाल अग्रवाल (50) और होटल ब्लैक क्लब के दो कर्मचारियों नितेश शेवानी और जयेश गावकर को 24 मई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया। दुर्घटना से पहले किशोर ने कथित तौर पर होटल ब्लैक क्लब में शराब पी थी।

भाषा जोहेब नेत्रपाल

नेत्रपाल

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)