नागपुर, 15 दिसंबर (भाषा) महाराष्ट्र सरकार के कई विभाग हजारों करोड़ रुपये की अनुदान सहायता के लिए उपयोगिता प्रमाणपत्र (यूसी) जमा करने में विफल रहे जबकि उन्होंने 2024-25 के आखिरी महीने में अपने अधिकतर बजट को जल्दबाजी में खर्च किया। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) से यह जानकारी मिली।
प्रमाणपत्र जमा नहीं करने और बजट को आखिरी महीने में जल्दबाजी के साथ खर्च करने दोनों ही मामलों में आवास विभाग शीर्ष पर रहा।
राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन रविवार को प्रस्तुत कैग की रिपोर्ट के अनुसार, बॉम्बे वित्तीय नियम, 1959 के तहत यूसी प्रस्तुत न करने से यह जोखिम रहता है कि वित्त खातों में दर्शाई गई राशि जरूरतमंद लाभार्थियों तक नहीं पहुंची होगी।
रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च 2025 तक 52,876 मामलों से संबंधित 1,77,319.84 करोड़ रुपये के यूसी जमा नहीं हुए थे और 2024-25 में सरकार ने लगभग 40,047 मामलों से जुड़े 1,37,222.25 करोड़ रुपये के यूसी जमा करवाए।
यूसी जमा नहीं करने वाले प्रमुख विभागों में शहरी विकास विभाग 11,040 करोड़ रुपये के साथ सबसे आगे रहा, उसके बाद योजना विभाग (5,805 करोड़ रुपये), जल संसाधन विभाग (3,602 करोड़ रुपये), आवास विकास विभाग (2,839 करोड़ रुपये) और सामाजिक न्याय और विशेष सहायता विभाग (2,640 करोड़ रुपये) का स्थान रहा।
‘ऑडिट’ में मार्च 2025 में किए गए अत्यधिक व्यय को भी उजागर किया गया, जो बॉम्बे वित्तीय नियमों का उल्लंघन है। ये नियम वित्तीय वर्ष के अंत में एक साथ कई व्यय करने की अनुमति नहीं देते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अकेले मार्च के महीने में ही 18 विभागों ने 100 करोड़ रुपये से अधिक का व्यय किया, जो उनके कुल वार्षिक व्यय का 25 प्रतिशत से अधिक है।
कैग ने कहा कि आवास विभाग में साल के अंत में सबसे तेजी से व्यय किया गया जो मार्च में ही साल के कुल व्यय का 90 प्रतिशत था, इसके बाद पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग (77 प्रतिशत), योजना विभाग (65 प्रतिशत), अल्पसंख्यक विकास विभाग (53 प्रतिशत) और पर्यटन और सांस्कृतिक मामलों के विभाग (50 प्रतिशत) का स्थान रहा।
भाषा यासिर गोला
गोला