शिवराज पाटिल: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, जिन्हें मुंबई हमले के बाद छोड़ना पड़ा था गृह मंत्री का पद

शिवराज पाटिल: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, जिन्हें मुंबई हमले के बाद छोड़ना पड़ा था गृह मंत्री का पद

शिवराज पाटिल: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, जिन्हें मुंबई हमले के बाद छोड़ना पड़ा था गृह मंत्री का पद
Modified Date: December 12, 2025 / 05:16 pm IST
Published Date: December 12, 2025 5:16 pm IST

(फोटो सहित)

मुंबई, 12 दिसंबर (भाषा) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष शिवराज पाटिल ने दशकों लंबे अपने राजनीतिक करियर के दौरान कई भूमिकाएं निभाईं और महाराष्ट्र एवं राष्ट्रीय राजनीति में एक प्रमुख शख्सियत रहे, लेकिन मुंबई में 26 नवंबर 2008 के आतंकी हमलों के बाद उन्हें केंद्रीय गृह मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।

पाटिल (90) का शुक्रवार को महाराष्ट्र के लातूर जिले में उनके आवास पर निधन हो गया। वह कुछ समय से बीमार थे।

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पाटिल अपने अंतिम दिनों तक कांग्रेस और नेहरू-गांधी परिवार के प्रति वफादार रहे और पांच दशकों से अधिक के सार्वजनिक जीवन के दौरान कई महत्वपूर्ण संवैधानिक और मंत्री पदों पर आसीन रहे।

वरिष्ठ नेता को 2008 में केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में जनता और मीडिया की ओर से कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा, जब उन्हें 26 नवंबर की रात को तीन अलग-अलग परिधान में देखा गया था। उस वक्त, मुंबई में पाकिस्तान से आए 10 आतंकियों का समूह तबाही मचा रहा था।

आलोचनाओं का बचाव करते हुए उन्होंने कहा था कि लोगों को नीतियों की आलोचना करनी चाहिए, कपड़ों की नहीं। मुंबई हमलों की भयावहता ने पाटिल के राजनीतिक करियर पर गहरा प्रभाव डाला और केंद्रीय मंत्रिमंडल में उनकी स्थिति लगभग अस्थिर हो गई, जिसके चलते उन्होंने 30 नवंबर 2008 को इस्तीफा दे दिया।

उन्होंने 1991 से 1996 तक लोकसभा अध्यक्ष के रूप में कई संसदीय पहल की शुरुआत की और निचले सदन में प्रक्रियात्मक अनुशासन और शिष्टाचार पर हमेशा जोर दिया। उन्हें एक गरिमापूर्ण और तटस्थ पीठासीन अधिकारी के रूप में याद किया जाता था तथा विधायी प्रक्रियाओं की उनकी गहरी समझ और संवैधानिक मामलों पर उनकी असाधारण पकड़ के लिए व्यापक रूप से सम्मानित किया जाता था।

मध्य महाराष्ट्र के लातूर से सात बार लोकसभा सदस्य रहे पाटिल को कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शिवाजीराव पाटिल निलंगेकर की पुत्रवधू रूपा निलंगेकर के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा, जिन्होंने 2004 के संसदीय चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था।

तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को उन पर इतना भरोसा था कि लातूर से हार के बावजूद, पाटिल को राज्यसभा सदस्य बनाया गया और 2004 में पार्टी के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के सत्ता में आने पर उन्हें महत्वपूर्ण गृह मंत्रालय का प्रभार सौंपा गया।

पाटिल ने 2010 से 2015 तक पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक के रूप में कार्य किया। उन्हें राजस्थान के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था और जब 2014 में भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार सत्ता में आई, तो पाटिल अपने कार्यकाल के अंत तक राज्यपाल के पद पर बने रहे।

पाटिल ने महाराष्ट्र विधानसभा और लोकसभा दोनों के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था। उनके अलावा, महाराष्ट्र के दो अन्य कद्दावर नेता जी.वी. मावलंकर और मनोहर जोशी भी लोकसभा अध्यक्ष रहे।

मावलंकर लोकसभा के पहले अध्यक्ष थे, जबकि जोशी 1995 से 1999 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे और बाद में संसद के निचले सदन के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।

लातूर जिले में जन्मे पाटिल की राजनीतिक यात्रा 1960 के दशक के उत्तरार्ध में लातूर नगरपालिका के अध्यक्ष के रूप में शुरू हुई। वह दो बार महाराष्ट्र विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए और कई बार संसद सदस्य के रूप में कार्य किया।

वर्ष 2015 के बाद, वह सार्वजनिक जीवन से काफी हद तक दूर रहे और अपना समय दिल्ली और अपने गृह नगर लातूर में बिताते रहे।

अक्टूबर 2022 में, दिल्ली में एक पुस्तक विमोचन समारोह को संबोधित करते हुए, पूर्व केंद्रीय मंत्री पाटिल ने यह दावा करके विवाद खड़ा कर दिया कि ‘जिहाद’ की अवधारणा न केवल इस्लाम में, बल्कि भगवद्गीता और ईसाई धर्म में भी मौजूद है।

पाटिल ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ इस साल की शुरुआत में नयी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी।

भाषा आशीष दिलीप

दिलीप


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