मुंबई, 14 अप्रैल (भाषा) मुंबई स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटीबी) की एक अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2022 के मार्च-अप्रैल में भारत में लू (हीट वेव) चलने का कारण अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों की हवा का पैटर्न और मिट्टी के शुष्क होने की स्थिति थी।
आईआईटीबी और जर्मनी के जोहान्स गुटेनबर्ग-यूनिवर्सिटी मेंज के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में पाया गया कि 2022 के मार्च और अप्रैल में असामान्य रूप से तीव्र लू चलने की घटनाएं (जिनमें तापमान वर्ष के उस समय के सामान्य सीमा से कहीं अधिक था) विभिन्न वायुमंडलीय प्रक्रियाओं द्वारा संचालित थीं, जिसने लू के प्रभावों को बढ़ा दिया।
अध्ययन रिपोर्ट के मुख्य लेखक रोशन झा ने कहा, ‘‘हमारा विश्लेषण दर्शाता है कि मार्च की गर्मी मुख्य रूप से अल्पकालिक वायुमंडलीय रॉस्बी तरंगों के आयाम में अचानक वृद्धि से जुड़ी थी, जो अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों की हवाओं में ठीक उसी तरह बड़े पैमाने पर घुमाव लाती हैं जैसे घुमावदार नदी का घुमाव होता है।’’
उन्होंने कहा कि ध्रुवों के पास उच्च ऊंचाई वाली पश्चिमी हवाओं ने भूमध्यरेखा के करीब पश्चिमी हवाओं को ऊर्जा हस्तांतरित की, क्योंकि वे लू के दौरान एक-दूसरे के करीब आ गईं जिससे लू और प्रचंड हो गईं।
हालांकि, अप्रैल में लू चलने का मुख्य कारण अत्यधिक शुष्क मिट्टी की स्थिति तथा पाकिस्तान और अफगानिस्तान के उत्तर-पश्चिमी भू-भागों से भारत में गर्मी का प्रवाह था।
आईआईटीबी में एसोसिएट प्रोफेसर और अध्ययन की सह-लेखिका अर्पिता मोंडल ने बताया कि जब मिट्टी में नमी होती है, तो साफ आसमान की स्थिति में सूर्य की कुछ ऊर्जा हवा को गर्म करने के बजाय उस नमी को वाष्पित करने में चली जाती है। लेकिन जब मिट्टी पहले से ही सूखी होती है तो सारी ऊर्जा सीधे हवा को गर्म करने में इस्तेमाल होती है।
भाषा संतोष सुरेश
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