हमने शिवसेना नहीं छोड़ी है, राकांपा-कांग्रेस के साथ गठबंधन से उद्धव से मतभेद हुए: बागी विधायक |

हमने शिवसेना नहीं छोड़ी है, राकांपा-कांग्रेस के साथ गठबंधन से उद्धव से मतभेद हुए: बागी विधायक

हमने शिवसेना नहीं छोड़ी है, राकांपा-कांग्रेस के साथ गठबंधन से उद्धव से मतभेद हुए: बागी विधायक

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:32 PM IST, Published Date : June 25, 2022/7:47 pm IST

मुंबई, 25 जून (भाषा) एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में गुवाहाटी में डेरा डाले हुए शिवसेना के बागी विधायकों ने शनिवार को कहा कि उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी है, लेकिन संकेत दिया कि वे महाराष्ट्र विधानसभा में ‘शिवसेना (बालासाहेब)’ नाम से एक अलग समूह के रूप में काम करेंगे। वहीं, दूसरी ओर पार्टी कार्यकारिणी ने मुंबई में एक प्रस्ताव पारित किया कि किसी भी संगठन को शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे के नाम का उपयोग नहीं करना चाहिए।

बागी समूह के प्रवक्ता दीपक केसरकर ने कहा कि उनके पास दो तिहाई बहुमत है और इसलिए शिंदे शिवसेना विधायक दल के नेता बने हुए हैं। उन्होंने दोहराया कि पार्टी प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ दरार का कारण 2019 में भाजपा के साथ गठबंधन समाप्त करने तथा राकांपा और कांग्रेस से हाथ मिलाने का उनका निर्णय था।

इस बीच, शिवसेना कार्यकर्ताओं ने पुणे में बागी विधायक तानाजी सावंत के एक कार्यालय में तोड़फोड़ की और ठाणे में एकनाथ शिंदे के सांसद बेटे श्रीकांत शिंदे के बैनरों को भी निशाना बनाया। एकनाथ शिंदे ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सरकार ने उनके सहित 38 बागी विधायकों और उनके परिवारों के आवासों से सुरक्षा कवर वापस ले लिया है, लेकिन राज्य के गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने इस तरह के किसी भी कदम से इनकार किया।

गुवाहाटी से एक ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में केसरकर ने कहा कि उन्होंने शिवसेना नहीं छोड़ी है, लेकिन अपने समूह का नाम शिवसेना (बालासाहेब) रखा है।

उन्होंने कहा कि सिर्फ 16 या 17 लोग 55 विधायकों के समूह के नेता को नहीं बदल सकते हैं और शिवसेना का बागी गुट शिंदे को शिवसेना समूह के नेता के रूप में बदलने के महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल के आदेश को अदालत में चुनौती देगा।

केसरकर ने कहा, ‘‘विधायकों ने पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से कहा था कि हमें उस पार्टी के साथ रहना चाहिए जिसके साथ हमने चुनाव लड़ा था.. जब इतने सारे लोग एक ही राय व्यक्त करते हैं, तो उसमें कुछ ठोस होना चाहिए।’’

वह शिंदे समूह की उस शुरुआती मांग का संदर्भ दे रहे थे कि शिवसेना को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ अपना गठबंधन फिर से शुरू करना चाहिए और कांग्रेस तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से संबंध तोड़ लेना चाहिए।

यह पूछे जाने पर कि क्या शिंदे समूह महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार से समर्थन वापस लेगा, केसरकर ने कहा, ‘‘हमें समर्थन क्यों वापस लेना चाहिए? हम शिवसेना हैं। हमने पार्टी को हाईजैक नहीं किया है, राकांपा और कांग्रेस ने इसे हाईजैक कर लिया है।’’

उन्होंने यह भी कहा कि शिंदे समूह विधानसभा में बहुमत साबित करेगा ‘‘लेकिन हम किसी अन्य राजनीतिक दल के साथ विलय नहीं करेंगे।’’

केसरकर ने कहा, ‘‘हमने अपने समूह का नाम शिवसेना (बालासाहेब) रखने का फैसला किया है क्योंकि हम उनकी (बाल ठाकरे की) विचारधारा में विश्वास करते हैं।’’

पार्टी संस्थापक बाल ठाकरे के नाम का अन्य समूहों द्वारा इस्तेमाल किए जाने को लेकर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट की आपत्ति के बारे में पूछे जाने पर केसरकर ने कहा, ‘‘हम इस पर विचार करेंगे।’’

यह पूछे जाने पर कि बागी विधायक कब मुंबई लौटेंगे, उन्होंने कहा कि वे उचित समय पर वापस आएंगे।

केसरकर ने महाराष्ट्र में बागी विधायकों के कार्यालयों और आवासों पर हमले की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘मौजूदा समय में दबाव है, हमें नहीं लगता कि वापस आना सुरक्षित है।’’

उन्होंने कहा कि बागी गुट के मन में उद्धव ठाकरे के खिलाफ कुछ भी नहीं है।

केसरकर ने कहा, ‘‘यह सच है कि मुख्य मुद्दा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और इसका हमारे साथ अपमानजनक व्यवहार का है। कई विधायक जो यहां हमारे साथ हैं, पिछले कई महीनों से पार्टी नेतृत्व के समक्ष इस मुद्दे को उठा रहे थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम शिवसेना को नहीं तोड़ रहे हैं। हम उनसे (उद्धव) भाजपा से हाथ मिलाने को कह रहे हैं।’

मुंबई में, शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने उद्धव ठाकरे को ‘‘पार्टी को धोखा देने वालों’’ के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अधिकृत करने का एक प्रस्ताव पारित किया, लेकिन इसने एकनाथ शिंदे और अन्य के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने से परहेज किया।

पार्टी सांसद संजय राउत ने कहा कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने बागी विधायकों की निंदा की और कहा कि पार्टी उद्धव ठाकरे के साथ है।

कार्यकारिणी द्वारा पारित प्रस्तावों में से एक में कहा गया, ‘‘बालासाहेब (ठाकरे) और शिवसेना एक ही सिक्के के दो पहलू हैं तथा शिवसेना के अलावा कोई भी उनके नाम का उपयोग नहीं कर सकता है।’’

पार्टी नेता आदित्य ठाकरे ने कहा कि यह ‘‘सच्चाई और झूठ’’ के बीच लड़ाई है तथा ‘‘हम जीतेंगे।’’

इस बीच, शिवसेना के नेतृत्व वाले महा विकास अघाड़ी में शामिल कांग्रेस ने कहा कि त्रिपक्षीय गठबंधन मजबूत बना हुआ है।

पार्टी ने एक बयान में कहा कि एकनाथ शिंदे खेमे ने संविधान के अनुच्छेद 179 के तहत विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल को हटाने का प्रस्ताव पेश करने के लिए नोटिस दिया है।

इसने कहा, ‘‘लेकिन नियम कहते हैं कि विधानसभा में कोई भी प्रस्ताव राज्यपाल द्वारा विधानसभा सत्र बुलाने के लिए समन जारी करने के बाद ही पेश किया जा सकता है। अभी तक, राज्यपाल ने सत्र बुलाने के लिए समन जारी नहीं किया है।’’

पार्टी ने शिवसेना के अधिकतर विधायकों के समर्थन का दावा करने वाले शिंदे खेमे के दावों पर भी सवाल उठाया।

कांग्रेस ने अपने बयान में कहा, ‘‘यदि बागियों के पास संख्याबल है तो वे अविश्वास प्रस्ताव की मांग क्यों नहीं कर रहे हैं? राज्यपाल विधानसभा सत्र के लिए समन क्यों नहीं जारी कर करे रहे हैं जिसका उन्हें अधिकार है? सुनने में आ रहा है कि बागी और भाजपा विधायक नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए राज्यपाल से मांग करेंगे, जो संभव नहीं है क्योंकि राज्यपाल ने पहले अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए लिखित में अनुमति देने से इनकार कर दिया था क्योंकि मामला न्यायालय में विचाराधीन है। वह अब यू-टर्न नहीं ले सकते।’’

वहीं, राकांपा के प्रवक्ता महेश तापसे ने पूछा, ‘‘सूरत और गुवाहाटी में होटलों के बिल के साथ-साथ चार्टर्ड उड़ान का भुगतान कौन कर रहा है’’ (जिसमें बागी विधायकों को कथित तौर पर सूरत से गुवाहाटी ले जाया गया था)।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग सक्रिय हो जाएं, तो काले धन के स्रोत का खुलासा हो जाएगा।’’

भाषा नेत्रपाल उमा

उमा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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