महिलाओं को रूढिवादी रीति-रिवाजों और परंपराओं से मुक्त किया जाना चाहिए: भागवत

महिलाओं को रूढिवादी रीति-रिवाजों और परंपराओं से मुक्त किया जाना चाहिए: भागवत

महिलाओं को रूढिवादी रीति-रिवाजों और परंपराओं से मुक्त किया जाना चाहिए: भागवत
Modified Date: July 18, 2025 / 04:23 pm IST
Published Date: July 18, 2025 4:23 pm IST

(फाइल फोटो के साथ)

पुणे, 18 जुलाई (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि किसी भी राष्ट्र की प्रगति के लिए महिलाओं का सशक्तिकरण आवश्यक है और उन्हें (महिलाओं को) रूढिवादी रीति-रिवाजों एवं परंपराओं से मुक्त किया जाना चाहिए।

महाराष्ट्र के सोलापुर में गैर-लाभकारी संगठन उद्योगवर्धनी की ओर से आयोजित कार्यक्रम में भागवत ने कहा कि महिलाएं किसी भी समाज का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

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उन्होंने कहा, ‘एक पुरुष अपनी मृत्यु तक काम करता है। एक महिला भी अंत तक काम करती है, लेकिन उससे भी आगे वह आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती है। एक महिला के प्यार और स्नेह के तले बच्चे बढ़ते और परिपक्व होते हैं।’

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि राष्ट्रीय विकास के लिए महिलाओं का सशक्तिकरण बेहद महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा, ‘ईश्वर ने महिलाओं को कुछ अतिरिक्त गुण दिए हैं, जिससे वे वह काम कर सकती हैं, जो पुरुष नहीं कर सकते। साथ ही, ईश्वर ने महिलाओं को वे सभी गुण दिए हैं, जो उन्होंने पुरुषों को दिए हैं, जिसके कारण वे वह सब कुछ कर सकती हैं, जो पुरुष कर सकते हैं।’

भागवत ने कहा कि इसलिए पुरुषों का यह दावा करना मूर्खता है कि वे महिलाओं का उत्थान करेंगे।

उन्होंने कहा, ‘इस तरह के अहंकार का कोई आधार नहीं है। महिलाओं को वह करने दें, जो वे करना चाहती हैं। बस उन्हें सशक्त बनाएं और उन्हें रूढिवादी रीति-रिवाजों एवं परंपराओं से मुक्त करें। जब एक महिला खुद का उत्थान करती है, तो वह पूरे समाज को ऊपर उठाती है।’

आरएसएस प्रमुख ने महिलाओं को सशक्त एवं मजबूत बनाने में उद्योगवर्धिनी के योगदान की सराहना भी की।

भाषा पारुल पवनेश

पवनेश


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