मुंबई, 24 अप्रैल (भाषा) जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर गोलीबारी करने से पहले एक आतंकवादी ने चिल्लाते हुए कहा, ‘‘तुमने यहां आतंक मचा रखा है।’’
इस नरसंहार में जीवित बचे लोगों ने बृहस्पतिवार को मुंबई के पास डोंबिवली में अपने घर लौटने के बाद यह आपबीती बयां की।
ठाणे जिले के डोंबिवली के रहने वाले तीन रिश्तेदार- संजय लेले (50), हेमंत जोशी (45) और अतुल मोने (43) उन 26 लोगों में शामिल थे, जो मंगलवार को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में मारे गए थे।
मृतकों के रिश्तेदारों ने बताया कि कैसे एक सुखद दिन उनके जीवन का सबसे बुरा दिन बन गया, जब चेहरे ढके, सिर पर ‘गोप्रो कैमरे’ लगाए आतंकवादी, बैसरन स्थित पर्यटक स्थलद आये और निर्दोषों का खून बहाया।
संजय लेले के बेटे हर्षल ने कहा, ‘‘वहां कम से कम चार आतंकवादी थे।’’
उन्होंने मीडिया को बताया, ‘‘मैंने दो को देखा, लेकिन उनकी हरकतों और कदमों की आवाज से मुझे पता चला कि वे और भी थे। उनकी दाढ़ी थी और उन्होंने भूरे रंग के कपड़े पहने हुए थे, हालांकि मैं यह नहीं कह सकता कि यह वर्दी थी या नहीं।’’
हर्षल ने कहा, ‘‘मेरा हाथ मेरे पिता के सिर पर था, तभी मुझे अचानक कुछ गीला-गीला महसूस हुआ। मैंने देखा, ये खून था, उनके सिर पर गोली लगी थी।’’
मारे गए अतुल मोने की पत्नी अनुष्का मोने ने बताया कि कैसे हमलावरों से जान की गुहार लगाने की कोशिश करते समय उनके पति की हत्या कर दी गई।
उन्होंने कहा, ‘‘हम अपराह्न एक या 1:30 बजे बैसरन घाटी पहुंचे। धूप खिली थी, और दिन सुहाना था। अचानक हमने गोलियों की आवाज सुनी, लेकिन हमने सोचा कि यह आसपास कोई मनोरंजक गतिविधि है।’’
उन्होंने बताया कि बंदूकधारियों ने जानना चाहा कि समूह में कौन हिंदू या मुसलमान है। अनुष्का मोने ने बताया, ‘‘उन्होंने हमसे तीन-चार बार पूछा। किसी ने जवाब नहीं दिया। मेरे पति आगे बढ़े और कहा, ‘तुम हमें क्यों गोली मार रहे हो? हमने कुछ नहीं किया है’। आतंकियों ने उन्हें गोली मार दी।’’
भाषा शफीक सुरेश
सुरेश
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)