Bilaspur Nagar Nigam Election: बिलासपुर में कम रहा मतदान का प्रतिशत.. ऐसे में कौन जीत रहा शहर सरकार का रण?.. पढ़े भाजपा-कांग्रेस के दावे
राजनीतिक विश्लेषण और सियासी गणनाओं के बावजूद अंतिम निर्णय 15 फरवरी को मतगणना के बाद ही स्पष्ट होगा। मतदाताओं ने किस पार्टी के दावों पर भरोसा जताया है, इसका फैसला ईवीएम खुलने के बाद सामने आएगा।
Who will become the mayor of Bilaspur Corporation? | Image- Bilapur Municipal Corporation
- बिलासपुर के नतीजों पर टिकी आम लोगों की नजर
- कम मतदान के प्रतिशत ने बढ़ाई उम्मीदवरों की टेंशन
- भाजपा-कांग्रेस दोनों ने किये जीत के दावे
Who will become the mayor of Bilaspur Corporation?: बिलासपुर: नगर निगम चुनाव के मतदान के बाद अब हार-जीत के सियासी गणित पर मंथन शुरू हो गया है। मतदान के रुझानों के आधार पर राजनीतिक दल अपनी संभावनाओं को आंकने में जुट गए हैं। शहरी क्षेत्रों में बीजेपी को बढ़त की उम्मीद है, जबकि ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस अपनी मजबूती देख रही है। ऐसे में दोनों ही दल अपनी-अपनी रणनीतियों के तहत नगर निगम में सत्ता पाने का दावा कर रहे हैं।
कौन बनेगा बिलासपुर निगम का मेयर?
इस बार का बिलासपुर नगर निगम चुनाव कई कारणों से खास रहा है। टिकट वितरण में मचे घमासान, बागी उम्मीदवारों की मौजूदगी, मेयर पद के प्रत्याशियों के बीच टकराव और चुनावी प्रचार के दौरान लगाए गए आरोप-प्रत्यारोप ने पूरे चुनावी माहौल को रोमांचक बना दिया। राजनीतिक दलों ने नगर निगम में अपनी सरकार बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी, लेकिन मतदान प्रतिशत ने उनकी चिंता बढ़ा दी है।
Who will become the mayor of Bilaspur Corporation? : आंकड़ों पर नजर डालें तो इस बार केवल 51.37 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है, जिसमें पुरुष मतदाता 52.48 प्रतिशत और महिला मतदाता 50.30 प्रतिशत रहे। शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण वार्डों में मतदान का उत्साह अधिक देखा गया। इस मतदान प्रवृत्ति को देखते हुए कांग्रेस और भाजपा दोनों ही अपने-अपने जीत के समीकरण बनाने में लगे हुए हैं। शहरी क्षेत्रों में बीजेपी को बढ़त की उम्मीद है, जबकि ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस को मजबूती मिलती दिख रही है।
दोनों दल अपनी-अपनी जीत को लेकर अलग-अलग तर्क दे रहे हैं। भाजपा केंद्र और राज्य में अपनी सरकार होने, कांग्रेस सरकार के खिलाफ एंटी-इनकंबेंसी, महतारी वंदन योजना और ग्रामीण इलाकों में ज्यादा मतदान को अपनी जीत का आधार मान रही है। वहीं, कांग्रेस छत्तीसगढ़िया बनाम बाहरी ओबीसी का मुद्दा, ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक मतदान और अपनी आंतरिक रणनीति को अपनी सफलता की कुंजी मान रही है।
Who will become the mayor of Bilaspur Corporation? : राजनीतिक विश्लेषण और सियासी गणनाओं के बावजूद अंतिम निर्णय 15 फरवरी को मतगणना के बाद ही स्पष्ट होगा। मतदाताओं ने किस पार्टी के दावों पर भरोसा जताया है, इसका फैसला ईवीएम खुलने के बाद सामने आएगा।

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