सड़कों पर अब तय रफ्तार से ही दौड़ सकेंगे वाहन, यहां के लिए स्पीड लिमिट तय, किस रोड पर न्यूनतम कितनी रफ्तार होगी.. जानिए | Vehicles will now be able to run on the roads at the fixed speed, the speed limit is fixed for here

सड़कों पर अब तय रफ्तार से ही दौड़ सकेंगे वाहन, यहां के लिए स्पीड लिमिट तय, किस रोड पर न्यूनतम कितनी रफ्तार होगी.. जानिए

सड़कों पर अब तय रफ्तार से ही दौड़ सकेंगे वाहन, यहां के लिए स्पीड लिमिट तय, किस रोड पर न्यूनतम कितनी रफ्तार होगी.. जानिए

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:16 PM IST, Published Date : June 12, 2021/3:36 am IST

नई दिल्ली। करीब एक दशक बाद दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने सड़कों पर गाड़ियों की अधिकतम स्पीड में बदलाव किया है। इन बदलावों के बाद कुछ सड़कों पर गाड़ियों की स्पीड में बढ़ोतरी की गई है, जबकि कुछ जगह स्पीड कम की गई है। 

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अन्य शहरों के मुकाबले दिल्ली में रोड एक्सिडेंट में सबसे अधिक मौतें होती हैं। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में इसमें 30 फीसदी तक की कमी आई है। 50 फीसदी मौतें ओवर स्पीडिंग की वजह से होती हैं। ऐसे में यहां सड़कों पर स्पीड लिमिट में एकरूपता, स्पष्टता के साथ रेशनलाइजेशन जरूरी था। कुछ सड़कों के अलग-अलग हिस्सों पर स्पीड लिमिट भी अलग-अलग थी। ऐसे में ड्राइवरों के लिए भी मुश्किल होती थी। अब इस नोटिफिकेशन से स्थिति साफ हो गई है। इसका आगे फायदा ही होगा। किस तरह से फायदा होगा?

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5 सड़कों पर बदली स्पीड लिमिट
अगर स्पीड लिमिट में बदलाव की बात करें, तो केवल 5 स्ट्रेच ऐसे हैं, जिन पर इसमें बदलाव किया गया है। इनर रिंग रोड पर वजीराबाद से तिमारपुर के बीच के 2 किमी लंबे एक स्ट्रेच पर स्पीड लिमिट 50 से बढ़ाकर 60 किमी प्रतिघंटा की गई है। इसी तरह आउटर रिंग रोड पर डिस्ट्रिक्ट सेंटर से मुकरबा चौक के बीच, सेंट्रल स्पाइन रोड पर महिपालपुर चौक से आईजीआई एयरपोर्ट के बीच और एनएच-1 पर संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर से मुकरबा चौक के बीच स्पीड लिमिट को 50 से बढ़ाकर 60 किमी प्रतिघंटे किया है। वहीं बारापूला एलिवेटेड रोड पर स्पीड 70 से घटाकर 60 किमी प्रतिघंटा की गई है।

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नए नोटिफिकेशन के बाद दो गाड़ियों के बीच की डिफ्रेंशल स्पीड का अंतर कम हो जाएगा। जब ये अंतर अधिक होता हे तो एक्सिडेंट भी गंभीर होते हैं। मसलन, एक कार 70 या 80 की स्पीड पर और दूसरी 40 या 50 की स्पीड पर होती है तो उनके बीच टक्कर अधिक गंभीर होती है। इससे जानलेवा हादसे की आशंका रहती है। अब तक ये अंतर 30 से 40 किमी प्रति घंटे तक था। स्पीड लिमिट के बदलाव से ऐसे हादसे कम होंगे। ये अच्छी बात है कि इस बार साइंटिफिक तरीके से स्पीड लिमिट में बदलाव किए गए हैं। लेकिन जिस तरह से सड़क, फ्लाइओवर और लूप पर अलग-अलग सीमा तय की गई है, क्या उससे कन्फ्यूजन नहीं होगा?

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कन्फ्यूजन तो तब तक बना रहेगा, जब तक सड़क आपसे सही तरीके से कम्युनिकेट नहीं करेगी। सही जगह पर सही साइज के साइनेज लगाना आवश्यक है, ताकि गाड़ी चलाने वाले को सड़क पर स्पीड लिमिट में बदलाव का पता चल सके। इसके लिए साइन बोर्ड लगाने जरूरी हैं।
कारों के लिए 70 किमी की अधिकतम स्पीड लिमिट तय करना, सेफ्टी के लिहाज से उचित है?

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स्पीड की सीमा तय करते वक्त ये देखा जाना चाहिए कि अगर किसी सड़क पर साइकल, दुपहिया, कार वाले हैं तो वहां 60 से अधिक स्पीड नहीं रखी जानी चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर कार में ब्रेक लगाया जा सके। महाराष्ट्र की तरह ही दिल्ली में भी स्कूलों, अस्पताल के आसपास गाड़ियों की स्पीड लिमिट 25 किमी से अधिक नहीं होनी चाहिए। ऐसी जगहों पर तो आधा किमी पहले ही स्पीड कम करने का इंतजाम होना चाहिए। ऐसी सड़कों पर साइनेज, स्पीड कामिंग मेजर्स, रंबल स्ट्रिप्स, कैट आइज, टेबल टॉप ब्रेकर बनाकर स्पीड को कंट्रोल किया जा सकता है।
टू वीलर्स की भी अधिकतम स्पीड 60 किमी रखी गई है, रोड सेफ्टी के लिहाज से ये ठीक है?

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टू वीलर्स को उस श्रेणी में रखा जाता है, जिन्हें दुर्घटना होने पर चोट लगने की अधिक संभावना होती है। इनकी स्पीड लिमिट कम रखने का मकसद यही होता है कि अगर दुर्घटना हो तो उन्हें कम चोट लगे। कारों के साथ इनकी डिफ्रेंशन स्पीड में सिर्फ दस किमी का अंतर है। इससे भी हादसों का खतरा कम होगा। ऐसे बदलाव से क्या उन लोगों पर भी असर पड़ेगा, जो अभी स्पीड लिमिट की अवहेलना करते हैं?

एल-2 और एल-3 कैटिगरी की गाड़ियों के मामले में हमारी मांग रही है कि ये गाड़ियां कई सेफ्टी नियमों पर खरी नहीं उतरती हैं, इसलिए इन गाड़ियों को सेफ्टी के लिहाज से बेहतर बनाया जाए और उनमें एंटीलॉक ब्रेकिंग सिस्टम, एंटी स्किड सिस्टम, सीट बेल्ट, फटीक डिटेक्शन डिवाइस लगाए जाएं, ताकि ये और सुरक्षित बन सकें।

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स्पीड के मामले में जब तक गाड़ी चलाने वाले नियमों का पालन नहीं करेंगे तो किसी भी बदलाव का फायदा नहीं होगा। कैमरे का पता चलते ही स्पीड कम कर लेते हैं और फिर बढ़ा देते हैं। हमने इसी वजह से ट्रैफिक पुलिस को प्रस्ताव दिया था कि वह दिल्ली में ऐसी 220 जगहों की पहचान करें, जहां लोग ट्रैफिक नियम तोड़ते हैं। वहां कैमरों से 24 घंटे निगरानी रखी जाए। इससे काफी असर पड़ेगा। पूरी दुनिया की तरह दिल्ली में भी इलेक्ट्रॉनिक एन्फोर्समेंट के जरिए नियम तोड़ने वालों पर एक्शन हो। ऑटो-टैक्सी से इतर हल्के पैसेंजर वीइकल्स के लिए एक अलग कैटिगरी बनाकर उनकी स्पीड लिमिट बढ़ाई गई है। इसका क्या असर होगा?

 

 
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