पत्थर तोड़ते-तोड़ते द ग्रेट खली को शिमला के किसी होटल में अच्छी नौकरी का ऑफर मिला। शिमला के एक होटल ने उन्हें सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी की पेशकश की। पैसे अच्छे मिल रहे थे तो खली ने सिरमौर से शिमला तक का पैदल सफर तय किया। वहां नौकरी के साथ-साथ भरपेट खाना भी मिल रहा था। इसी दौरान शिमला में पंजाब के एडीजीपी मेहल सिंह भुल्लर का दौरा हुआ। उनकी नजर दिलीप सिंह राणा उर्फ खली पर पड़ी। उन्होंने उनकी सेहत को देखते हुए उसे 1994 में पंजाब पुलिस में नौकरी का ऑफर दिया। यही वो पल था जब द ग्रेट खली का रेसलिंग का सफर शुरू हुआ और आज वह इस रिंग के बेताज बादशाह बन चुके हैं।
काम करने के बाद जब वह घर पहुंचते तो अपने सात भाई बहनों के साथ खाना खाते हुए जो भी उन्हें नसीब हुआ खा लेते थे। अपने आकार के कारण उन्हें ज्यादा खाने की जरूरत थी, लेकिन सभी एक साथ खाते थे और जिसने जितना खाना खाया वहीं हासिल होता था।
अपने सात भाई बहनों में से खली की बॉडी और कद काठी सबसे अलग और भारी-भरकम था। 7 फुट 1 इंच का लंबा और भारी भरकम शरीर लेकर डब्ल्यूडब्ल्यूई की रिंग में जब द ग्रेट खली उतरते थे तो अच्छे-अच्छे रेसलर्स के पसीने छूटने लगते थे। लेकिन खली का WWE की रिंग तक पहुंचने का सफर संघर्षों से भरा रहा। पढ़े लिखे ना होने के कारण से खली को मजदूरी करनी पड़ी। लेकिन जिस तरह खली का शरीर था वह आस-पास के गांव के लोगों के लिए उत्सुरता का विषय रहा करता था।
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