1. गुजरात के 2500 साल पुराने वाडनगर नाम के एक छोटे से गांव में नरेंद्र मोदी का जन्म हुआ। भले ही ये गांव छोटा सा हो, लेकिन इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि रही है। सातवीं सदी में भारत के दौरे पर आए चीनी स्कॉलर हुआन सेंग ने भी वाडनकर और उसकी पृष्ठभूमि की तारीफ की।
2. नरेंद्र मोदी के छह भाई-बहन थे जिनमें वो तीसरे नंबर पर थे। घर की हालत सही नहीं थी और इसके लिए उनके पिता को वाडकर रेलवे स्टेशन पर चाय तक बेचनी पड़ी। इसमें नरेंद्र मोदी भी मदद करते थे और ट्रेन में उन्होंने चाय बेची।
3. जी हां, ये वही चाय का किस्सा है जिसके बारे में विदेशों तक खबर पहुंची कि एक चायवाला भारत का प्रधानमंत्री बन गया। विरोधी दलों के नेताओं तक ने मोदी का मजाक उड़ाया लेकिन बाद में मोदी की सफलता के बाद चाय और चाय पर चर्चा तक शुरू हो गई।
4. आमतौर पर जैसे आपका-हमारा निकनेम होता है वैसे ही नरेंद्र मोदी का भी था। बचपन में नरेंद्र मोदी को सभी लोग नरिया कहकर बुलाते थे। हालांकि उन्हें इस नाम का बुरा भी लगता था लेकिन उन्होंने कभी पलटकर कुछ नहीं कहा। कहा जाता है कि नरेंद्र मोदी की मां आज भी उन्हें प्यार से नरिया ही कहकर बुलाती हैं।
5. पढ़ाई के मामले में नरेंद्र मोदी औसत रहे, हालांकि उनके डिबेट करने के अंदाज को टीचर्स से लेकर उनके दोस्तों तक ने सराहा। नरेंद्र मोदी को एक्टिंग का बहुत शौक था और इसीलिए उन्होंने थियेटर भी जॉइन किया। उनकी कई तस्वीरें इस बात की गवाह हैं कि वो थिएटर और नाटकों में काफी दिलचस्पी लिया करते थे।
6. स्कूल की पढ़ाई के बाद नरेंद्र मोदी पर के दिल में संन्यासी बनने की चाह उठी। वो इस चक्कर में घर से ही भाग गए और इस दौरान उन्होंने पश्चिम बंगाल के रामकृष्ण आश्रम के अलावा कई और जगहों का भ्रमण किया। इस दौरान उनकी आध्यात्म और तर्क में आस्था बढ़ी।
7. बचपन में नरेंद्र मोदी बेहद शरारती थे, लेकिन दयालु भी बहुत थे। किसी को भी वो मुसीबत में देखते तो तुरंत मदद के लिए पहुंच जाते।
8. एक बार 'मन की बात' प्रोग्राम में मोदी ने खुलासा भी किया था कि किस तरह बचपन में शहनाई बजाने वालों को इमली का लालच देकर उनका ध्यान भंग किया करते थे।
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