Ayodhya History Part-02: अयोध्या पर जब हुआ मुगलों का हमला.. जानें कब और कैसे शुरु हुई राम जन्मभूमि पर हक लड़ाई

Ayodhya History Part-02: अयोध्या पर जब हुआ मुगलों का हमला.. जानें कब और कैसे शुरु हुई राम जन्मभूमि पर हक लड़ाई

Ayodhya History Part-02

Modified Date: January 10, 2024 / 03:26 pm IST
Published Date: January 10, 2024 3:26 pm IST

अयोध्या : हमने शुरू किया है अयोध्या के इतिहास से जुड़ा एक ऐसा अध्याय जो आपको इस नगर और धाम के हर पहलु की सूक्ष्म जानकारी देगा। अयोध्या कल और अयोध्या आज के बीच की हर तस्वीर आईबीसी24 रखेगा आपके सामने।

कल हमने जाना था अयोध्या के उद्भव की कहानी। हमने पढ़ा था कि किस तरह अयोध्या अपने अस्तित्व में आया था तो आज हम पढ़ेंगे अयोध्या से जुड़ी वो कहानी जिसने हमेशा के लिए इस शहर की दशा और दिशा को बदलकर रख दिया।

महाभारत का दौर और विश्व के इस सबसे विशाल युद्ध में सूर्य वंश की आखिरी राजा महाराजा बल्कि मृत्यु जंग के दौरान अभिमन्यु के हाथ हुई थी। जिसके बाद अयोध्या का बुरा दौर शुरू हुआ और राजभवन के साथ प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि मंदिर भी जर्जर होने लगी। मगर ईसा के करीब100 वर्ष पूर्व उज्जैन के चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य अयोध्या पहुंचते हैं और सरयू नदी के किनारे एक पेड़ के नीचे विश्राम करने बैठते हैं।

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उस वक्त अयोध्या में सिर्फ घना जंगल था मगर विक्रमादित्य को वहाँ दिव्य शक्ति महसूस होती है और वो आस पास के संतु से इस इलाके के बारे में पूछते हैं। तभी वो संत महात्मा सम्राट विक्रमादित्य को बताते हैं कि यह प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या नगरी है जो कि महाराज बल्कि मृत्यु के बाद पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। तभी सम्राट विक्रमादित्य काले रंग के कसौटी पत्थर वाले 84 खंबों पर राम जन्मभूमि मंदिर का फिर से निर्माण करवातें हैं। साथ ही यहाँ राजमहल,कुएं और कई अन्य मंदिरों का निर्माण भी करवातें हैं, जिससे अयोध्या नगरी एक बार फिर चमक उठती थी। अब विक्रमादित्य के बाद कई राजाओं ने इस मंदिर की देखरेख की और समय समय पर सुधार कार्य करवाना जारी रखा। मगर 1100 बीसी में कन्नौज के राजा जयचंद ने मंदिर के स्तंभों पर सम्राट विक्रमादित्य के इंस्क्रिप्शंस को उखड़वाकर अपना नाम लिखवा दिया।

हालांकि पानीपत युद्ध के बाद राजा जयचंद का आश्वासन भी समाप्त हुआ। इस दौरान भारत पर मुगलों के आक्रमण बढ़ गए थे, जो ना सिर्फ बड़े बड़े राज्यों को हथियाने की कोशिश में लगे हुए थे बल्कि काशी, मथुरा और अयोध्या जैसे समृद्ध राज्यों में भी लगातार लूटपाट कर रहे थे। मगर 14 वीं सदी तक वो अयोध्या के राम मंदिर को तोड़ने में सफल नहीं हो पाए थे।

बताया जाता है कि सिकंदर लोधी के शासन काल के दौरान ही यहाँ मंदिर मौजूद था। मगर 14 वी सदी में मुगलों ने हिंदुस्तान पर कब्जा कर लिया और लाखों हिंदुओं की भावनाओं से जुड़े राम जन्मभूमि मंदिर को नष्ट करने की काफी कोशिश की और आखिर में साल 1528 में वो इस 52 मंदिर को तोड़ने में सफल रहे जहाँ उन्होंने अपनी बाबरी मस्जिद के ढांचे को खड़ा किया था। दरअसल 1528 में मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर नहीं इस मस्जिद के निर्माण का आदेश दिया था। तब से लेकर अयोध्या नगरी में इस जमीन को लेकर दो धर्मों के बीच के विवाद की शुरुआत हुई थी, जो 1528 से लेकर2020 तक करीबन 492 साल तक चला और इस विवाद को दुनिया के इतिहास का सबसे लंबा विवाद कहा जाता है।

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खैर, कहानी पर वापस आए तो अकबर और जहाँगीर के शासन के दौरान हिन्दुओं को मंदिर के लिए पास की भूमि एक चबूतरे के रूप में सौंपी गई थी। मगर फिर मुगल शासक औरंगजेब ने अपने पूर्वज बाबर की याद में यहाँ भव्य मस्जिद बनवा कर उसे बाबरी मस्जिद ना दे दिया। लेकिन हिंदू धर्म के मुताबिक बाबरी मस्जिद के इन तीनों के नीचे भगवान श्रीराम की जन्मभूमि थी और मुगलों का यहाँ मस्जिद बनाना एक अपराध था। इसी वजह से साल 1853 में इस भूमि को लेकर पहला सांप्रदायिक दंगा शुरू हुआ, जिसे रोकने के लिए उस वक्त भारत को अपने कब्जे में करने की कोशिश में लगी।

इसी दौरान ब्रिटिश गवर्नमेंट बीच में आती है और ब्रिटिशर्स कहते हैं कि इस भूमि को दो हिस्सों में विभाजित करते हैं जिसमें मस्जिद के अंदर के हिस्से को मुसलमान और बाहर के चबूतरे का इस्तेमाल कर लेंगे। इस तरह 1859 में ये मामला बाहरी रूप से शांत हुआ, लेकिन अंदरूनी रूप से लोगों में अब भी गुस्सा था। जिसके बाद 1885 में पहली बार यह मामला अदालत पहुंचता है जब महंत रघुबीर दास जब उतरे में पूजा निर्माण के लिए मंदिर बनाने की मांग करते हैं। लेकिन उनकी मांग खारिज कर दी जाती है और अपनी ताकत के बल पर अंग्रेज इस मुददे को शांत करवा देते है।

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लेखक के बारे में

A journey of 10 years of extraordinary journalism.. a struggling experience, opportunity to work with big names like Dainik Bhaskar and Navbharat, priority given to public concerns, currently with IBC24 Raipur for three years, future journey unknown