Bhagwan ka Bhog : भगवान को भोग लगाते वक़्त भूल से भी ना करें ये गलती,, वरना सिर पर मंडराने लगेंगे संकट, होगा तमाम विपत्तियों से सामना

Do not make this mistake while offering food to God, otherwise troubles will start hovering over your head, you will have to face many calamities

Bhagwan ka Bhog : भगवान को भोग लगाते वक़्त भूल से भी ना करें ये गलती,, वरना सिर पर मंडराने लगेंगे संकट, होगा तमाम विपत्तियों से सामना

bhagwaan ka bhog

Modified Date: January 2, 2025 / 04:21 pm IST
Published Date: January 2, 2025 3:47 pm IST

Bhagwan ka Bhog : हिन्‍दू धर्म में मान्यता है कि अपने ईष्‍ट को भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करने पर उनकी कृपा आप पर सदैव बनी रहती है। भगवान को पूजा के दौरान भोग लगाने से वह अत्यंत प्रसन्‍न होते हैं। इससे धन धान्य में वृद्धि होती है, घर में सुख शांति आती है तथा साथ ही लक्ष्‍मी जी का भी वास होता है। भगवान को भोग लगाने के लिए कभी भी एल्यूमिनियम, लोहे, स्टील आदि बर्तनों का इस्तेमाल न करें। भगवान को हमेशा चांदी, मिट्टी, पीतल या फिर सोने के बर्तन में ही भोग लगाना चाहिए।
आप प्रभु को खुद के बनाए गए भोजन का भी भोग लगा सकते हैं परन्तु इस बात का विशेष ध्यान रखें कि लहसुन-प्याज के बगैर वाला ही भोजन का भोग लगाएं। यदि भूल से भी आप भगवान को लहसून – प्याज़ वाले भोजन का भोग लगते हैं तो प्रभु अत्यधिक रुष्ट हो जाते हैं जिसके परिणाम स्वरुप परिवार पर संकटों का साया मंडराने लगता है।

हमारे शास्त्रों में लिखा गया है कि घर में बनने वाले भोजन का सर्वप्रथम भगवान को भोग लगाना चाहिए और फिर स्वयं ग्रहण करना चाहिए। भगवान को भोग लगाते समय ‘त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये। गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर’ मंत्र का जाप करना चाहिए
इस मंत्र का अर्थ है कि, ‘हे ईश्वर, मेरे पास जो भी है, वह आपका ही दिया हुआ है. मैं आपका दिया आपको ही समर्पित करता हूं. कृपा करके इसे ग्रहण करें और मुझ पर प्रसन्न हों’। ऐसा क्यों करना चाहिए तो आईये जानतें हैं इस लघु कथा के माध्यम से जो प्रभु भोग का फल हैं…

Bhagwan ka Bhog : यहाँ प्रस्तुत है भगवान के भोग का फल की अद्भुत कथा

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एक सेठजी बड़े कंजूस थे। एक दिन दुकान पर बेटे को बैठा दिया और बोले कि बिना पैसा लिए किसी को कुछ मत देना, मैं अभी आया।

अकस्मात एक संत आये जो अलग-अलग जगह से एक समय की भोजन सामग्री लेते थे।
लड़के से कहा: बेटा जरा नमक दे दो। लड़के ने सन्त को डिब्बा खोल कर एक चम्मच नमक दिया। सेठजी आये तो देखा कि एक डिब्बा खुला पड़ा था।

Bhagwan ka Bhog

सेठजी ने कहा: क्या बेचा बेटा?
बेटा बोला: एक सन्त, जो तालाब के किनारे रहते हैं, उनको एक चम्मच नमक दिया था।
सेठ का माथा ठनका और बोला: अरे मूर्ख! इसमें तो जहरीला पदार्थ है।

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अब सेठजी भाग कर संतजी के पास गए, सन्तजी भगवान् के भोग लगाकर थाली लिए भोजन करने बैठे ही थे कि..
सेठजी दूर से ही बोले: महाराज जी रुकिए, आप जो नमक लाये थे, वो जहरीला पदार्थ था, आप भोजन नहीं करें।
संतजी बोले: भाई हम तो प्रसाद लेंगे ही, क्योंकि भोग लगा दिया है और भोग लगा भोजन छोड़ नहीं सकते। हाँ, अगर भोग नहीं लगता तो भोजन नही करते और कहते-कहते भोजन शुरू कर दिया।

Bhagwan ka Bhog

सेठजी के होश उड़ गए, वो तो बैठ गए वहीं पर। रात हो गई, सेठजी वहीं सो गए कि कहीं संतजी की तबियत बिगड़ गई तो कम से कम बैद्यजी को दिखा देंगे तो बदनामी से बचेंगे।

सोचते सोचते उन्हें नींद आ गई। सुबह जल्दी ही सन्त उठ गए और नदी में स्नान करके स्वस्थ दशा में आ रहे हैं।
सेठजी ने कहा: महाराज तबियत तो ठीक है।
सन्त बोले: भगवान की कृपा है! इतना कह कर मन्दिर खोला तो देखते हैं कि भगवान् के श्री विग्रह के दो भाग हो गए हैं और शरीर काला पड़ गया है।

Bhagwan ka Bhog

अब तो सेठजी सारा मामला समझ गए कि अटल विश्वास से भगवान ने भोजन का ज़हर भोग के रूप में स्वयं ने ग्रहण कर लिया और भक्त को प्रसाद का ग्रहण कराया।

सेठजी ने घर आकर बेटे को घर दुकान सम्भला दी और स्वयं भक्ति करने सन्त शरण में चले गए! इसलिए रोज ही भगवान् को निवेदन करके भोजन का भोग लगा करके ही भोजन करें, भोजन अमृत बन जाता है। अत: आज से ही यह नियम लें कि भोजन बिना भोग लगाएं नहीं करेंगे।

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लेखक के बारे में

Swati Shah, Since 2023, I have been working as an Executive Assistant at IBC24, No.1 News Channel in Madhya Pradesh & Chhattisgarh. I completed my B.Com in 2008 from Pandit Ravishankar Shukla University, Raipur (C.G). While working as an Executive Assistant, I enjoy posting videos in the digital department.