Chhath Puja 2025: छठ पूजा… नहाय-खाय से शुरू, सूर्य और षष्ठी माता की आराधना का चार दिवसीय पर्व!
मंगलमय छठ पर्व (Chhath Puja 2025) का आगाज इस साल शनिवार यानी आज से प्रारंभ हो रहा है। चार दिवसीय इस पर्व की शुरुआत 'नहाय-खाय' से होगी।
Chhath Puja 2025/ image source: IBC24
- छठ पूजा चार दिवसीय पर्व है।
- नहाय-खाय से पर्व की शुरूआत होती है।
- छठ पूजा में सूर्य भगवान और षष्ठी माता की एकसाथ आराधना होती है।
Chhath Puja 2025: मंगलमय छठ पर्व (Chhath Puja 2025)का आगाज इस साल शनिवार यानी आज से प्रारंभ हो रहा है। चार दिवसीय इस पर्व की शुरुआत ‘नहाय-खाय’ से होगी।
नहाय-खाय से पर्व की शुरुआत
यह दिन व्रती की स्वच्छता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। इस दिन व्रती अपने नाखून काटकर स्नान करते हैं और स्वच्छता के साथ अपने लिए अलग चौके में कद्दू-चावल का भोजन बनाते हैं। भोजन में शुद्ध घी का प्रयोग किया जाता है। कुछ स्थानों पर सेंधा नमक का भी इस्तेमाल होता है। परिवार के सभी सदस्य इस अवसर पर एकत्र होकर पूजा की तैयारी में शामिल होते हैं। बाजारों में इस दिन पूजा सामग्री की दुकानों पर चहल-पहल बढ़ जाती है और उत्सव-उल्लास का वातावरण नजर आता है।
दूसरे दिन बनाई जाएगी खास चूड़ी…
Chhath Puja 2025: छठ पर्व का दूसरा दिन ‘खरना’ होता है। इस दिन व्रती दिनभर उपवास रखते हैं और शाम को स्वच्छ स्थान पर चूल्हा स्थापित कर उसकी पूजा करते हैं। पूजा में अक्षत, धूप, दीप और सिंदूर का प्रयोग किया जाता है। तत्पश्चात प्रसाद के लिए आटे से ‘रसियाव-रोटी’ बनाई जाती है। रोटियां बनाने के बाद बचा हुआ आटा छोटी रोटी के रूप में रखा जाता है, जिसे ओठगन कहते हैं। अगले दिन प्रात:कालीन सूर्य को अर्घ्य देने के बाद इस रोटी को खाने से व्रत पूर्ण होता है।
बता दें कि, छठ पर्व पर भगवान सूर्य की आराधना होती है, लेकिन पूजा छठ मइया की भी मानी जाती है। आचार्य पं. शरदचंद्र मिश्र के अनुसार, षष्ठी माता सूर्य की अरुणिमा में वास करती हैं, इसलिए अरुणोदय काल में सूर्य को अर्घ्य देने से षष्ठी माता की भी पूजा होती है। व्रत में गाए जाने वाले गीत भी षष्ठी माता के लिए होते हैं, जबकि आराधना सूर्य भगवान की होती है। पुराणों के अनुसार, सूर्य और षष्ठी देवी भाई-बहन हैं और प्रात: व सायंकाल सूर्य की लालिमा में वे निवास करती हैं। यही कारण है कि छठ पूजा में दोनों की आराधना एकसाथ की जाती है।
पहनावे का भी विशेष महत्व
Chhath Puja 2025: छठ पर्व में पहनावे का भी विशेष महत्व है। महिलाओं के लिए लाल रंग की साड़ी पहनना शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार लाल रंग सौभाग्य, शक्ति और समृद्धि का प्रतीक है। इसके अलावा केसरिया और ऑरेंज रंग की साड़ियां भी व्रती पहन सकती हैं। पुरुष भी सफेद या हल्के रंग के वस्त्र पहनकर पूजा में शामिल होते हैं।
छठ पूजा सिर्फ व्रत का पर्व नहीं, बल्कि सूर्य और षष्ठी माता की आराधना, प्रकृति के प्रति आभार और स्वास्थ्य, समृद्धि और सौभाग्य की कामना का पर्व है। यह पर्व हर वर्ष अक्टूबर-नवंबर के बीच मनाया जाता है और इसे मनाने की परंपरा उत्तर भारत, विशेषकर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के तटीय इलाकों में विशेष रूप से प्रचलित है।
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