(Chhath Puja Arghya Timing 2025, Image Credit: IBC24 News Customize)
Chhath Puja Arghya Timing 2025: भगवान सूर्य की उपासना और लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा शनिवार को नहाय-खाय के साथ प्रारंभ हो गया। व्रतियों ने स्नान के बाद अपने घरों में पूजन स्थल को गोबर से लीपकर शुद्ध वातावरण तैयार किया। इसके बाद सूर्य देव का ध्यान करते हुए माता छठी की विधिवत पूजा की गई। मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ियों से अरवा चावल, घी में पकी चना दाल और लौकी की सब्जी का प्रसाद तैयार कर सूर्य देव को भोग लगाया गया, जिसके साथ छठ पूजा की शुरुआत हुई।
रविवार को खरना पूजन के साथ 36 घंटे का निर्जला उपवास (व्रत) का आरंभ हुआ। इस उपवास के दौरान व्रती जल तक ग्रहण नहीं करते। सोमवार की शाम को अस्ताचलगामी (डूबते हुए) सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, जबकि मंगलवार की सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर चार दिवसीय छठ व्रत का समापन पारण के साथ किया जाएगा।
इस बार का छठ विशेष योगों से युक्त है। सोमवार को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र और सुकर्मा योग में डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, जबकि मंगलवार को त्रिपुष्कर योग और रवियोग के शुभ संयोग में व्रतियों द्वारा उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा। यह संयोग छठ पूजा को और अधिक पवित्र और फलदायी बनाता है।
टाइम एंड डेट वेबसाइट के मुताबिक:
सूर्यास्त के बाद ही खरना का प्रसाद ग्रहण किया जाएगा और अगले दिन संध्याकालीन अर्घ्य दिया जाएगा।
स्कंद पुराण के मुताबिक, जो व्यक्ति पंचमी तिथि को एक बार भोजन कर षष्ठी को व्रत करता है और सप्तमी को सूर्य देव को विविध अर्पण करता है, वह सुख, समृद्धि और संतान सुख प्राप्त करता है। छठ व्रत करने वाला व्यक्ति जीवन में हर क्षेत्र में सफलता और सम्मान प्राप्त करता है।
‘एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पय मां देवा गृहाणार्घ्यं दिवाकरः॥’
छठ व्रत की परंपरा ऋग्वैदिक काल से चली आ रही है। व्रती महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की दीर्घायु के लिए सूर्य देव और छठी मैया से प्रार्थना करती हैं। यह व्रत न केवल सूर्य उपासना का प्रतीक है, बल्कि शुद्धता, संयम और श्रद्धा का भी संदेश देता है।